सागर के प्राइमरी स्कूल का जर्जर भवन और बंदरों की उछल-कूद, बच्चे नहीं जा रहे स्कूल
मध्यप्रदेश सरकार का स्कूली शिक्षा को सशक्त बनाने का सपना लगता है सागर में अधूरा ही रहने वाला है। क्योकि सागर के खुरई में एक स्कूल ऐसा है जहाँ की प्राइमरी स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है और छप्परों पर बंदरों के उछल कूद करते है जिस कारण अक्सर छप्पर गिरने की घटनाएं हो रही हैं। इन समस्याओं के चलते अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल तक भेजना बंद कर दिया है।
नरोदा गांव में यह स्कूल 1950 में बनाया गया था, जो अब लगभग 75 साल पुराना हो चुका है। स्कूल भवन के पास 20 साल पहले बनाया गया अतिरिक्त कक्ष भी जर्जर हालत में है। कच्चे भवन के छप्परों पर बंदर उछल कूद करते हैं, जिससे छप्पर गिरने की घटनाएं आम हो गई हैं। इस कारण स्कूल की शिक्षिका को बच्चों को अंदर बैठाने में डर लग रहा है।
स्कूल में कुल 75 छात्र पढ़ते हैं, लेकिन अब बहुत कम बच्चे ही स्कूल आते हैं। अभिभावक भी पिछले साल सुमरेरी गांव में एक युवती की मौत की घटना को याद करके अपने बच्चों को भेजने में डर रहे हैं। बच्चों का कहना है कि उन्हें भी डर लगता है कि कहीं छप्पर गिरने से कोई हादसा न हो जाए।
इस समस्या के अलावा, स्कूल में 75 बच्चों के लिए केवल एक ही शिक्षिका है, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।