भाजपा विधायकों से भी ऊपर हो गया प्रशासन, पत्रकारों की लड़ाई जन आंदोलन में बदली
सागर के गालीबाज खनिज अधिकारी मामले में प्रशासन शून्य की स्थिति में है। ऐसे में पत्रकार को न्याय दिलाने पत्रकारों के द्वारा शुरू की गई लड़ाई जन आंदोलन बन गया है, राजनितिक समाजिक व्यापारिक संगठनों का खूब समर्थन मिल रहा है, दस लाख जनता का नेतृत्व करने वाले चार चार विधायक भी इसमें साथ है फिर भी पिछले 5 दिनों से लोग सड़को पर है,
जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या सागर में कानून व्यवस्था खत्म हो गई है या खनिज अधिकारी ही सागर के प्रशासक बन गए हैं क्यों कि इनके कहने पर तत्काल एफआईआर दर्ज हो जाती है जबकि प्रमाण सहित वीडियो उपलब्ध कराने के बाद भी पत्रकार की शिकायत पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हो पा रही, यह कैसा न्याय है। सागर में रहने वाले हर नागरिक के मन में एक प्रश्न उठ रहा है कि यदि सत्ताधारी पार्टी के 4 विधायक पत्रकारों के पक्ष में है जिसमें गोपाल भार्गव, विधायक प्रदीप लारिया और बीरेंद्र सिंह लोधी ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचारी अनित पंड्या के खिलाफ कार्यवाई करने की मांग की है,
आखिरकार जब सत्ताधारी पार्टी के चार विधायक कई सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन द्वारा भी यह मांग उठ रही है कि ऐसे अधिकारी पर एफआईआर दर्ज हो ताकि आम जनता भी सुरक्षित रहे, जनता की आवाज उठाने वाले यदि एक पत्रकार पर इस प्रकार से एफआईआर दर्ज कर ली जाती है तो आगे पत्रकार कैसे काम करेंगे।
इधर सोमवार को आधा दर्जन से अधिक संगठनों ने पत्रकार के समर्थन में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिए, तो पत्रकारो ने भाजपा के पितृ पुरुष पंडित दीनदयल उपाध्याय की प्रतिमा को ज्ञापन सौंपा है,