Sagar- गौवंश को एयर टेग बने मुसीबत... लगने लगे कीड़े, कान भी अलग करने पड़ रहे!
मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा गौवंश की गणना और पहचान के लिए उनके कानों में टैग लगा लगवा रही है, लेकिन गौवंश के कानों में बारिश के मौसम में टैग लगाना उनके लिए मुसीबत बन गई है। बारिश के मौसम में कान में टैग लगाने से उनके कान में खून आता है तो उन पर मक्खियों बैठ जाती है और मक्खियों बैठने से कीड़े लग जाते हैं पशुपालक तो इनकी देखरेख कर लेते हैं लेकिन जो आवारा गौवंश सड़कों पर बैठते हैं उनकी देखरेख न होने से उनके कान में कीड़े लगने से उनके कान को भी अलग करना पड़ता है
श्रीजी गौ सेवा धाम समिति जैसीनगर के धर्मेंद्र चौबे ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी समिति द्वारा आवारा गौवंश का निशुल्क इलाज करवाया जाता है। बीते एक हफ्ते मे ऐसे 50 आवारा गौवंश सामने आए जिनमें कानों में टैग लगा होने से कीड़े पड़ गए धर्मेंद्र चौबे बताते हैं जो टैगिंग की जा रही वही पशु विभाग के कर्मचारी नियमानुसार नहीं कर रहे क्योंकि गाय मवेशी के कान में जो टैग लगाए जाते हैं तो पहले कान में दवाई लगाई जाती है टैग लगाने के बाद भी दवाइयां लगाई जाती है ताकि मक्खी ना बैठे लेकिन यह कर्मचारी ना दवाई लगाते हैं और जल्दबाजी में टैग लगाकर चले जाते हैं और जैसे ही उनके कान में खून आता है उस जगह मक्खी बैठने कीड़े पड़ने लगते हैं, धर्मेंद्र चौबे का कहना है कि टैग लगाने का काम भी नियम अनुसार होना चाहिए साथ ही उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम में यह समस्या आती है इसलिए बारिश के मौसम में टैग ना लगाया जाए
जैसीनगर पशु चिकित्सालय के डॉक्टर एके चढ़ार का कहना है पशुपालकों को समझाइश दी जाती है कि टैग लगने के बाद उनके कान की देखरेख करें, उन्होंने स्वीकार किया कि आवारा मवेशियों की देखरेख न होने से उनके कान में कीड़े लगते, बारिश के मौसम में यह समस्या आती है हालांकि बारिश के मौसम में टैग काफी कम लगा रहे हैं उन्होंने पशुपालकों से भी अपील कि पशुओं के टेग लगने के बाद उनके कान में दवा लगे और देखरेख करें।