भिखारियों वाला गाँव अब बना रहा नई पहचान,सरपंच की कोशिश ने बदली तस्वीर || SAGAR TV NEWS ||
एमपी के दमोह जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव भिखारियों वाले गांव के नाम से जाना जाता है. लेकिन यह गांव अब यहां के जनप्रतिनिधि की मेहनत से एक नई पहचान बनाने की ओर बढ़ रहा है. इतना ही नहीं यहां पर सरपंच की इच्छा शक्ति के चलते जहां गांव की सूरत बदली है. वही आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत यह के लोग अब स्वरोजगार अपना रहे हैं तिदोनी गाँव यह गांव नट समुदाय के लोगों के द्वारा की जाने वाली भिक्षावृत्ति के कार्य के कारण भिखारियों के गांव के नाम से जाना जाता था. लेकिन यहां के एक जनप्रतिनिधि की मेहनत के चलते यह गांव अब नई पहचान की ओर बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत यहां पर गांव की सरपंच द्वारा स्वरोजगार की मुहिम चलाई जा रही है, और यही कारण है कि अभी यहां पर विशेष रूप से महिलाओं के लिए स्वरोजगार के द्वार खोले गए हैं. आजीविका मिशन के माध्यम से यहां की महिलाएं गोबर से की उत्पादों का निर्माण कर रही हैं. वर्तमान में यह महिलाएं गोबर से दीपावली के लिए दिए, भगवान की मूर्तियां, शुभ लाभ सहित अन्य पूजन की सामग्री बना रही है. यह की महिलाओं का मानना है कि इन उत्पादों का निर्माण कर वे अपना जीवन यापन करेंगी और आगामी दिनों में अन्य तरह के उत्पादों का निर्माण कर स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाएंगी. राष्ट्रीय आजीविका मिशन के युवा सलाहकार मानते हैं कि आजीविका मिशन के माध्यम से सरकार समूह की महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराती है और इस गांव में प्रशिक्षण देकर के महिलाओं को इस तरह के उत्पादों का निर्माण कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और यह महिलाएं लगन के साथ ही यह काम कर रही हैं. जिससे इन महिलाओं को स्वरोजगार मिल रहा है गांव के सरपंच का कहना हैं कि बीते सालो से भी यहां पर सरपंच है और गांव की इस पहचान को बदलने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. यह गांव आदर्श पंचायत के लिए जिला स्तर पर सम्मानित हो चुका है. तो राष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ पुरस्कार सरपंच को मिल चुके हैं..