रंगपंचमी पर सैलानी बाबा का दरबार, चीखते आए भूत-पलीत, रहस्मयी दुनिया के अजब नजारे

 

यह है खंडवा जिले का जामली गांव। यहां लगा है सैलानी बाबा का दरबार, बोलचाल में लोग इसे भूतों की अदालत कहते हैं। साल में एक बार रंगपंचमी पर यहां प्रेत बाधाओं से सताए हुए लोग अर्जी लगाने आते हैं। इसके बाद भूतों की पेशी होती है। सरकार के दरबार में मची चीख-पुकार बताती है कि प्रेतात्माओं को सजा दी जा रही है। आइए जानते हैं रहस्मयी अदालत और यहां से मिलने वाली रहमतों का राज

 

 

खंडवा से 22 किमी दूर स्थित जामली गांव में पांच दिन से मेला लगा हुआ है। कई सालों से सैलानी बाबा के दरबार में मेला लगता है। खंडवा के अलावा दूसरे राज्यों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। रंगपंचमी पर तो यहां अलग ही नजारा होता है। जिसमें भूतों की पेशियां होती हैं। मानसिक बाधाओं से पीड़ित महिलाओं और पुरुषों को देखना डरावनी हॉरर फिल्म देखने जैसा लगता है।

 

 

खुले बाल, चीखतीं आवाज, घुमी हुईं आंखें और जमीन पर लोट बताती हैं कि बुरी आत्माओं को पेशी का बुलावा पहुंच चुका है। भीड़ में उठकर बाधा पीड़ित सैलानी बाबा के सामने पेश होते हैं। इसके बाद बाबा सरकार उसके गुनाहों को उगलवाकर लोगों को राहत पहुंचाते हैं। पीड़ित जैसे ही मजार की जाली पकड़ता है वैसे ही पीड़ित हरकतें करना शुरू कर देते हैं। भूत के मरीज सिर पटक-पटक कर अपनी गलती मानते हैं। गलती मानने के बाद सैलानी सरकार उन्हें भूत-प्रेत जैसी बंदिशों से मुक्त कराते हैं।

 


दरअसल यह एक अलग ही दुनिया है। विज्ञान इन सब बातों को अंधविश्वास बताता हैं। ऐसे लोगों की गिनती मानसिक बीमारों में होती है। लेकिन यहां आने वालों का विश्वास अटल है। वह मानते हैं कि भूत—बाधाओं और ऊपरी साया की वजह से उनका जीवन परेशानियों से घिरा हुआ है। धार्मिक स्थल पर आते ही उनकी समस्या का चमत्कारिक निदान होता है। ऐसे कई लोग आते हैं जो अपने मुंह से इसकी पुष्टि करते हैं।

 

 

रंगपंचमी पर दरगाह की खिदमत करने वाला परिवार चादर चढ़ाता है। बाकी लोग भी चादर चढ़ाते हैं। आम तौर पर मेलों में व्यापारियो को कारोबार के लिये शुल्क देना होता है लेकिन सैलानी बाबा मेले में व्यवसाय के लिये निशुल्क भूमि उपलब्ध कराई जाती है। बिजली, पानी सब व्यवस्था दरगाह की खिदमत करने वाले परिवार के निर्देशन में पूरी हो जाती है। बाबा की मजार पर चादर चढ़ाने वालों का तांता लगा हुआ है। लोग मन्नत पूरी होने पर चादर, लोभान, अगरबत्ती और मिश्री चढ़ाते हैं। भीड़ इतनी जुटती है कि पांव रखने तक जगह नहीं मिलती।


वीओ फायनल-यह आस्था है या अंधविश्वास है। यह चिंतन का विषय हो सकता है। लेकिन यहां पर जुटने वाले हिंदू-मुस्लिमों में एकता दिखाई देती है। इस तरह से यह धार्मिक सदृभाव का संदेश स्थल बन गया है। सभी धर्मों के लोग यहां सैलानी बाबा के सामने माथा टेकते हैं। हजारों लोग अपनी परेशानियों से निजात पाते हुए घर लौटते हैं। सैलानी बाबा का दरबार उनकी तकलीफों को कम करते दिखाई देता है।


By - sagartvnews
01-Apr-2024

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