सोलर प्लांट का शुभारंभ देख किसानों ने लगाए वादाखिलाफी के आरोप,स्थल पर क्यों हुआ प्रदर्शन ?
छतरपुर में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार के एनटीपीसी सोलर प्लाटं शुभारंभ के समय किसानों के विरोध प्रदर्शन करने का मामला सामने आया है। बड़ी संख्या में किसान हाथों में तख्तियां लेकर शुभारंभ स्थल पर पहुंचे थे। बरेठी गांव में जहां केंद्रीय मंत्री मंच से उपलब्धियां गिना रहे थे, वहीं किसानों ने आकर नारेबाजी शुरू कर दी। किसानों के विरोध से कार्यक्रम स्थल पर असहज स्थिति निर्मित हो गई। किसी तरह समझाइश देेकर मामला शांत कराया गया। दरअसल इस जगह पर पहले थर्मल प्लांट बनाया जाना था। 2011 में इसके लिए किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गई थीं। आज उसी जमीन पर थर्मल प्लांट की जगह केंद्रीय मंत्री सोलर प्लांट का शुभारंभ करने पहुंच गए। इससे किसान नाराज हो गए। लोग रोजगार भी मांग रहे थे क्योंकि हजारों बच्चों को थर्मल प्लांट संबंधी आईटीआई कोर्स कराए थे। मुआवजा भी उन्हें नहीं मिल पाया था।
विकास का सब्जबाग दिखाकर किसानों की जमीनें ले लीं। उनके मकान, दुकान, खेत और सिंचाई के साधन प्रभावित हुए। 2800 एकड़ जमीन पर थर्मल प्लांट का प्रोजेक्ट था। इससे लोगों को फायदे की उम्मीद थी लेकिन एनटीपीसी के सोलर प्लांट लगने से उनकी उम्मीदें टूटती दिखीं। चारों तरफ से नुकसान की आहट देख किसान बिफर पड़े। वह केंद्रीय मंत्री के माध्यम से अपनी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाना चाहते थे।
लोकसभा के चुनाव ठीक पहले और सरकारी आयोजन के बीच किसानों के विरोध ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार को चिंता में डाल दिया। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का जल्द ही निराकरण कराया जाएगा। उनके सोलर प्लांट को भी फायदेमंद बताते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट रुका हुआ था किसी तरह यहां काम शुरू कराया है।
किसानों ने अपने साथ हुए धोखे का विरोध ऐसे समय किया कि उपलब्धियों का सारा मजा किरकिरा हो गया। सवाल यह है कि आखिर पहले किसानों की समस्या पर सरकार और प्रशासनिक अधिकारी क्यों सोते रहे। अगर पहले ही किसानों के संवाद रखते तो ऐसी स्थिति शायद ही देखने को मिलती। केंद्रीय मंत्री ने किसानों को आश्वासन तो दे दिया है लेकिन देखना यह है कि किसानों की मांगें कब तक पूरी होती हैं।