बिल भुगतान न होने पर निजी अस्पताल नहीं रोक सकेंगे डेड बॉडी, करनी होगी देखभाल
प्रदेश की निजी अस्पतालों में अब बिल भुगतान न होने की दशा में किसी भी डेड बॉडी को रोककर या बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकेगा। ऐसा करने पर अस्पताल संचालक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने इस संबंध में स्वत: संज्ञान लेकर दिशा—निर्देश जारी किए थे। उसी के पालन में मप्र स्वास्थ्य आयुक्त सुदाम खांडे ने गाइड लाइन जारी की है।
दरअसल कोरोना काल में डेड बॉडी के साथ दुर्व्यहार के मामले सामने आए थे। इसके अलावा भी कई अस्पतालों में मरीज की जान जाने के बाद परिजनों द्वारा बिल भुगतान न होने की दशा में डेड बॉडी बंधक बनाने के कई मामले सामने आते रहे हैं। इसमें अस्पताल संचालक मानवता को शर्मसार कर पहले तो बिल वसूलते थे फिर पैसा खत्म होने पर डेड बॉडी बंधक बनाकर पैसा जमा कराने का दबाव बनाते थे। लेकिन अब ऐसा करना गैरकानूनी माना जाएगा।
नई गाइड लाइन के अनुसार अस्पताल को डेड बॉडी के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना होगा। बॉडी की सुरक्षा के लिए विशेष उपकरण जैसे फ्रीजर और कोल्ड स्टोरेज में रखने होगे। निधन के बाद बॉडी तब तक रखी जाएगी तब तक परिजन लेने नहीं आ जाते। लावारिस बॉडी की भी पूरी जिम्मेदारी से सुरक्षा करनी होगी। इसकी सूचना थाने में देनी होगी। नगर निगम या पालिका की मदद से शव के परिवहन की उचित व्यवस्था करनी होगी।
गरीबों के लिए नि:शुल्क परिवहन की व्यवस्था करानी होगी। नियम कहते हैं कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को उसके शरीर को एक विशेष फ्रीजर में रखना होगा जब तक कि उसे बाहर नहीं निकाला जाए। लेकिन कुछ अस्पतालों में ये फ्रीजर नहीं हैं और वे शवों को बाहर छोड़ देते हैं।
एक कानून है जिसके तहत अस्पतालों को इन फ्रीजर की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें शवों को ऐसे स्थान पर ले जाने का रास्ता ढूंढना होगा जहां उन्हें ठंडा रखा जा सके। अब नए नियमों के तहत बॉडी संबंधी विवाद भी थमेंगे। नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों द्वारा नियम का उल्लघंन करने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है। स्वास्थ्य विभाग ने नियम तो बना दिया है लेकिन देखना यह होगा कि जमीनी स्तर पर इन आदेशों का कितना पालन होता है।