Sagar-लाइलाज बीमारी पर बन चुकी हैं फिल्में, बीएमसी के डॉक्टर ने बताया इलाज
बॉलीवुड में जिस लाइलाज ऑटिज्म बीमारी पर प्रियंका चोपड़ा की बर्फी और शाहरूख खान की मॉय नेम इज खान बनी है अब उस बीमारी का इलाज खोजा जा चुका है। अब इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का बचपन फिर से मुस्कुराने लगा है। बच्चे स्कूल भी जाने लगे और खेलकूद गतिविधियां भी कर रहे हैं। डीएनए गाडेड माइक्रोबायोम मॉड्यूलेशन थेरेपी के द्वारा यह संभव हो सका है।
फिलहाल हैदराबाद में इस थैरेपे से इलाज चल रहा है। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सुमित रावत इस थैरेपी से जीनोम फाउंडेशन की मदद से हैदराबाद में बीमारी से पीड़ित बच्चों का इलाज कर रहे हैं। यहां 1 और 2 मार्च को डॉक्टर सुमित रावत, डॉक्टर वी राव और डॉक्टर कनकभूषण के द्वारा तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के छोटे-छोटे बच्चों का इलाज कर रहे हैं।
डॉक्टर सुमित रावत ने बताया कि अपूर्ण दिमागी विकास यानी ऑटिज्म से पीड़ित लगभग 20 बच्चों का इलाज डीएनए गाडेड माइक्रोबायोम मॉड्यूलेशन थेरेपी के द्वारा किया जा रहा है। इसमें फल या सब्जी, दही, कांजी, प्रोबायोटिक सप्लीमेंट, माइक्रो न्यूट्रिएंट और प्रोसेस फूड को बंद करके इलाज किया जाता है। यहां पर कई ऐसे बच्चे भी आए थे जो इस थेरेपी से पीछे 6 से आठ महीने में लाभान्वित हो चुके हैं।
अब से कुछ वर्ष पहले तक यह माना जाता था कि ऑटिज्म एक लाइलाज बीमारी है और प्रभावित व्यक्ति और उनके परिवार को जीवनभर इसका दंश झेलना पड़ता था। लेकिन अब बच्चों की खुशियां लौटने लगी हैं। जल्द ही देश के अन्य राज्यों में इस थैरेपी से संबंधित क्लीनिक शुरू की जाएंगी।