सागर-आबचंद की गुफाओं में बिराजे सिद्ध हनुमान, पन्नी बांधने से हो जाते प्रसन्न
सागर से 35 किलोमीटर दूर आबचंद में हनुमान मंदिर है, यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता से भी भरपूर है. लाल बलुआ पत्थर की गुफाओं में मंदिर बना है. तो वही मंदिर के बाहर से नदी बहती है. नदी के दोनों तरफ अर्जुन के वृक्ष लगे हुए हैं. दोनों तरफ चट्टाने होने से यहां की सौंदर्यता और अधिक बढ़ जाती है. इसी खूबसूरती का लुत्फ
उठाने के लिए दूर-दूर से पर्यटक भी पहुंचते हैं. बताया जाता करीब 100 साल पहले गुफाओं की ही साफ-सफाई के दौरान हनुमान जी की प्रतिमा मिली थी. श्रद्धालु यहाँ भगवान के सामने हाथों में नारियल लेकर प्रार्थना करते है, तो वहीं महिलाओं के द्वारा यहां पर विशेष रुप से अगरबत्ती पन्नी की गांठ बांधती है. मन्नत पूरी होने के बाद यहां पर 24 घंटे या 48 घंटे का अखंड कीर्तन करवाना पड़ता है.
इन गुफाओं को सिद्ध संत हरे राम महाराज की तपोभूमि तो है ही. महंत रामाधार महाराज के अनुसार यहां बुंदेलखंड विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं में फैला हुआ है इन्हीं विंध्य पर्वत की चट्टानों में गुफाएं हैं.आबचंद से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित गौरी दांत पहाड़ी है जहां पर माता गौरी ने तपस्या की है. जिनकी सुरक्षा के लिए जामवंत और हनुमान भी यहां की गुफाओं में रहते थे. हरे राम महाराज जब अपने गांव से गाय चराने के लिए नदी किनारे आते थे तो खेलते समय गुफाओं की सफाई करने लगे सफाई के दौरान हनुमान जी
की छोटी प्रतिमा मिली थी. जिन्हें उन्होंने स्थापित किया और यहीं पर रहने लगे साधना करने लगे. करीब 44 साल पहले मैं यहां आया तो महाराज ने मुझे शिष्य बनाया मैं भी उनके साथ में रहने लगा, यहां एक बड़े हनुमान एक बाल स्वरूप में छोटे हनुमान है, अब यहां वहीं करीब 3 साल पहले मैंने राम दरबार की स्थापना करवाई है. यहां पर भगवान से प्रार्थना करने पर 41 दिन के अंदर काम पूरा हो जाता है. यही इस क्षेत्र का और हनुमान जी महाराज का चमत्कार है.