Sagar-एकमात्र उत्तरमुखी सरस्वती मंदिर, छोटे बच्चों का विद्यारंभ संस्कार कराना उत्तम
विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना का पर्व बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी. सनातन संस्कृति को मानने वाले बहुत से परिवारों में इसी दिन से छोटे बच्चों का विद्यारंभ संस्कार किया जाता है. इस दिन से अभिभावक अपने बच्चों को श्वेत या पीले वस्त्र पहनकर उनसे मां सरस्वती की आराधना करवाते हैं.माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इस बार 32 साल बाद दुर्लभ संयोग बना है. इस दिन रवि, शुक्ल शुभ योग के साथ रेवती नक्षत्र भी है. इन शुभ योगों में सरस्वती पूजन करने से दोगुने फल की प्राप्ति होगी.
सागर में बसंत पंचमी पर बुंदेलखंड के एक मात्र मां सरस्वती की एकल प्रतिमा वाला उत्तरमुखी मंदिर है, वीणावादनी माँ के दर्शन करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। शहर के इतवारा बाजार में सरस्वती जी का पुराना मंदिर बना हुआ है। करीब 50 साल पहले मंदिर में मां सरस्वती की संगमरमर की मूर्ति की स्थापना की गई थीमंदिर के पुजारी यशोवर्धन चौबे ने बताया कि मां सरस्वती विद्या, बुद्घि, कला और संस्कार को प्रदान करने वाली देवी हैं।
बसंत पंचमी महोत्सव पर दिनभर कई आयोजन होंगे। इस मौके पर आकर्षक सजावट मंदिर की गई है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती के जन्मोत्सव के साथ 14 संस्कारों की विधि होगी। विद्यार्थियों के लिए निशुल्क स्लेट पेंसिल अक्षर आरंभ के लिए दी जाती है और वर्ण विन्यास के लिए शहद के द्वारा जीभ के अग्रभाग पर ओम बनाया जाता है।