सागर-विधायक और नगर पालिका अध्यक्ष के बीच एक कुर्सी पर बैठने की जिद से बैठक में कलह।
राजनीति में कुर्सी की जंग न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। कभी पद की लड़ाई तो कभी कुर्सी की लड़ाई। अब बीना की नगर पालिका में बुधवार को हुए हंगामें को ही देख लीजिए। नगर पालिका में कुर्सी की जंग ने कड़ाके की ठंड में राजनैतिक पारा बढ़ा दिया। कांग्रेस की महिला विधायक निर्मला सप्रे और भाजपा की नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार के बीच एक ही कुर्सी पर बैठने को लेकर रार ठन गई। विधायक का कहना था कि मुख्य कुर्सी पर मैं बैठूंगी जबकि नगर पालिका अध्यक्ष पहले ही कुर्सी पकड़ कर बैठी् थीं।
वह कुर्सी से टस ने मस न हुईं। विधायक भी अड़ी रहीं कि बैठूंगी तो इसी कुर्सी पर नहीं तो यहां रुकुंगी ही नहीं। सीएमओ इशांक धाकड़ भी नियमों का हवाला देकर नगर पालिका अध्यक्ष का पक्ष लेते दिखे। विधायक और उनके समर्थक पार्षदों का तर्क था कि जब भाजपा की सरकार थी तब विधायक कैसे बीच की कुर्सी पर बैठते थे अचानक नया नियम कहां से आ गया। भाजपा और कांग्रेस के पार्षद भी आमने—सामने हो गए। इस बीच जमकर हंगामा होने लगा।
बाहरी लोगों को बैठक से बाहर कर दिया गया। गनीमत रही कि मारपीट जैसी नौबत नहीं बन पाई। विधायक निर्मला सप्रे बैठक का बहिष्कार कर बाहर निकल आईं। कांग्रेस के पांचों पार्षद भी बाहर निकल आए। उनके समर्थकों ने नगर पालिका दफ्तर का दरवाजा बंद जमकर मुर्दाबाद के नारे लगाए। विधायक ने अपनी कार से कंबल निकाला और नगर पालिका के दरवाजे पर धरना देकर बैंठ गईं। उनका कहना था प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।
मैं बैठक में पहुंची तो अध्यक्ष ने सम्मान देना भी जरूरी नहीं समझा। 25 साल से यहां भाजपा के विधायक बीच में बैठते थे। मुझे साइड में बैठा रहे हैं। यहां बैठकें नहीं होती जैसे तैसे आज बैठक हुई। विधायक होने के बाद सबसे नीचे नाम लिखते हैं। मैं इस मुद्दे को सदन में उठाउंगी फिलहाल कलेक्टर से इस संबंध में बात करती हूं।
गौरतलब है कि जनवरी की पिछली बैठक भी इसी तरह हंगामें की भेंट चढ़ गई थी। उस समय सीएमओ के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास हुआ था। इस बार फिर बैठक शुरू होते ही पहले अलाव को लेकर गहमा—गहमी हुई फिर कुर्सी की जंग ने पूरा माहौल ही बदल दिया। भाजपा और कांग्रेस की खींचतान में दो महिला जनप्रतिनिधियों की लड़ाई घर में सास—बहु के विवाद में बदलती दिख रही है। अब देखना यह है कि यह जंग यहीं थम जाएगी या शहर की जनता के मुद्दे ऐसे ही कुर्सी की लड़ाई की भेंट चढ़ते रहेंगे।