किसानों को चूजा कहने वाली महिला तहसीलदार को ले डूबी बदजुबानी, सीएम ने सिखाया सबक।
अन्नादाताओं पर चीखने चिल्लाने वाली सोनकच्छ तहसीलदार अंजली गुप्ता की तहसीलदारी फिलहाल उनके हाथ से छीन ली गई है। वायरल वीडियो के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनकी रिस्पांसेबिलटी याद दिलाई दी है। सीएम की नाराजगी के बाद कलेक्टर ने उन्हें देवास जिला मुख्यालय की निर्वाचन शाखा में अटैच कर दिया है।
आपको बता दें कि एक दिन पहले ही उनका सोनकच्छ तहसील क्षेत्र के गांव से एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें तहसीलदार साहिबा एक किसान पर भड़कती हुईं चीख—चिल्लाकर अंडे से निकले चूजे कह रही थीं। किसान हाथ जोड़ रहे थे और मैडम तहसीलदारी का रौब झाड़ रही थीं। सड़क छाप भाषा में मैडम दुनिया का पेट भरने वाले अन्नदाता को चूजा समझकर डरा रही थीं।
एक दिन भी नहीं बीता और उनकी अफसरशाही की गर्मी निकल गई। दरअसल एमपीपीटीएल कुम्हारिया राव गांव में किसानों के खेतों में टॉवर खड़ी कर रही है। इससे इससे किसान नुकसान को देखते हुए विरोध कर रहे थे। विवाद को शांत करने पहुंची तहसीलदार खुद आग बबूला होकर किसानों पर चीख—चिल्लाकर तांडव मचाने लगीं।
मैडम के कोप का भाजन बनने से किसान डर गए और लिखित मौखिक माफी भी मांग बैठे। सुपर पॉवर मैडम किसानों को धमकाते हुए कह रही थीं कि सरकार को किसने चुना मैने या आप लोगों ने तो मैं कहां से रिस्पांसेबल हो गई। मैडम यह भूल गईं कि जनता की सरकार है और सरकार उनने ही चुनी है। अब उसी चुनी हुई सरकार ने बता दिया कि किसान चूजे नहीं बल्कि अन्नदाता हैं और सुपर पॉवर जाते देर नहीं लगती।
शाजापुर में बदसलूकी मामले में कलेक्टर किशोर कन्याल पर गिरी गाज से अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया था। उनके ही नक्शे कदम चलते हुए मैडम किसानों को चूजा समझ बैठीं। अंजाम सामने है। दरअसल पिछले सालों की सरकारों में अफसरशाही की तूती बोलती रही। अधिकारियों से सवाल करने वाली जनता को पीटा गया, जेलों में डाला गया और तमाम तरह से दबाया जाता रहा।
ऐसे में अधिकारियों के दिमागों की गर्मी अभी तक भरी हुई है। नई सरकार अब ऐसे अधिकारियों को मैदान से हटाकर किनारे कर रही है। आगे देखना होगा कि बदजुबानी बंद होती है या आम जनता को औकात, चूजा के बाद कोई और संज्ञा दी जाती है।