मैं जिंदा हूं ! 19 साल से दफ्तरों के चक्कर काट रही महिला...
आपको बालीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज तो याद होगी. इसमें भरत लाल का रोल करने वाले अभिनेता पंकज त्रिपाठी खुद को कागज में जिंदा साबित करने के लिए सालों तक कोर्ट कचहरी से लेकर तमाम दफ्तरों के चक्कर काटते हैं. कुछ इसी तरह की कहानी सागर जिले से भी सामने आई है,
जहां पिछले 19 साल से एक 59 वर्षीय महिला कागज पर खुद को जिंदा साबित करने के लिए पंचायत से लेकर एसडीम, कलेक्टर, कमिश्नर और विधायक के यहां गुहार लगा चुकी है, लेकिन उसकी परेशानी का समाधान नहीं हो रहा है. इस प्रमाण पत्र की वजह से महिला को ना तो अनुकंपा नियुक्ति, ना पीएफ और ना ही किसी प्रकार की सरकारी योजना का लाभ मिल रहा है. वह पिछले कई सालों से दूसरे लोगों के सहारे जीने पर मजबूर है.
बताया जा रहा है कि सदर में रहने वाली महिला सुमन सिंह ठाकुर के पति मुलायम सिंह अनूपपुर जिले में कोल माइंस खदान में फाइटर के पद पर काम करते थे. 2003 में बीमारी के चलते उनका निधन हो गया था। अब परिवार के सामने गुजर बसर करने की चुनौती थी. बेटे राहुल की उम्र बहुत कम थी, जिसके चलते मां ने खुद अनुकंपा नियुक्ति के लिए अप्लाई किया. यहां से महिला को एक कागज मिला, जिसके मुताबिक उसकी डेथ 40 साल पहले हो चुकी है. इसकी घोषणा मकरोनिया ग्राम पंचायत के द्वारा की गई थी.
ऐसा डेथ सर्टिफिकेट साल 2004 में जारी किया गया था. उसी समय से महिला सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रही है, ताकि उसका डेथ सर्टिफिकेट खारिज हो जाए. इस पत्र की वजह से महिला को किसी भी योजना का लाभ उसे नहीं मिल पा रहा है. मां बेटे दूसरे के घर में रहकर अपने दिन गुजार रहे हैं. बेटा दूसरे लोगों के मजदूरी करने के लिए मजबूर है. मां और बेटे ने कोर्ट में भी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की, लेकिन कागज आज भी ज्यों के त्यों है.
इस मामले में एक तरफ जहां जनपद और नगर पालिका के अधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं. हालांकि सागर कलेक्टर दीपक आर्य का कहना है कि मामले की जानकारी आई है. संबंधित विभाग के अधिकारियों को जांच करने के लिए बोला गया है।