सागर-पितृ पक्ष 15 दिन के होते है लेकिन इस बार 16 दिन के क्यों जानिए
पितृपक्ष देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण से उबरने का मार्ग प्रशस्त करता है. पूर्व में 84 लाख देवता, उत्तर में सप्त ऋषि, दक्षिण में यम के 16 नाम से पूर्वजों को वैतरणी पार करने के लिए विष्णु भगवान की पसीने से उत्पन्न काली तिल से तिलांजलि देते हैं. यह बात सागर के चकराघाट पर तर्पण कराने वाले पंडित यशोवर्धन चौबे ने कही।
उन्होंने बताया कि अपने पुरखों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पितृ पक्ष में तर्पण, श्राद्ध कर्म और पिंडदान किए जाते हैं. यह कार्य करने के लिए हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक सदियों पहले से निश्चित है. लेकिन तिथियां कम ज्यादा होने की वजह से यह दिन घटते बढ़ते रहते हैं.
पितृ पक्ष कभी 15 दिन के कभी 16 दिन के तो कभी 17 दिन तक के हो जाते हैं. 15 दिन के पितृपक्ष हर दूसरे साल में होते हैं जबकि हर तीसरे साल में 16 दिन के पितृपक्ष और हर आठवें साल में 17 दिन के पितृपक्ष होते हैं. उन्होंने कहा कि दिन बढ़ने की वजह से साधकों को अपने जातकों का तर्पण करने का एक या दो दिन का समय ज्यादा मिलता है जिसकी वजह से उन्हें अपने पूर्वजों प्रसन्न होते है उनका आशीष मिलता है
और उनके परिवार में सुख समृद्धि आती है. उन पर अपने पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है. इस साल अधिक मास होने की वजह से 16 दिन के पितृपक्ष हैं. हर तीसरे साल में अधिक मास की वजह से 16 दिन के पितृपक्ष होते हैं जबकि समानुभाव में हर दूसरे साल में 15 दिन के पितृपक्ष होते हैं।