पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के लिए नहीं खुले शिव मंदिर के पट, गेट पर गंगाजल रखकर लौटना पड़ा
रायसेन जिले की किले की पहाड़ी पर स्थित सोमेश्वर धाम के ताले खुलवाने का संकल्प लेने वाली पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सावन के आखिरी सोमवार को गंगाजल लेकर फिर रायसेन पहुंचीं। वे किले के मुख्य गेट पर शाम सात बजे पहुंचीं, लेकिन उन्हें गेट पर गंगाजल का कलश रखकर वापस लौटना पड़ा।
वे यहां पर करीब बीस मिनट रुकी रहीं। इस दौरान वे सोमेश्वर धाम को लेकर अफसरों से चर्चा करती रहीं। वही, उमा भारती ने कहा कि सोमेश्वर मंदिर के ताले नहीं खुले थे, तो मैं मंदिर नहीं जा पाई। अब उमा भारती सरकार और प्रशासन की इस अनदेखी से दुखी तो है ही परंतु सत्ता पक्ष में होने के बाद यह दुख भी उनके मन में यह बैठा है कि सरकार और प्रशासन उनकी आवाज को नहीं सुन रहा।
वहीं उमा भारती के महादेव गोरे हैं तो काले महादेव कौन है का बयान भी चर्चा का विषय बना हुआ है। अब सांची विधानसभा के लोग इस बयान को लेकर अलग-अलग अर्थ निकालने में लगे हैं। गौरतलब है कि कुछ समय पहले उमा भारती यहां ताले खुलवाने को लेकर अनशन पर भी बैठी थी, इसके बाद भी सोमेश्वर मंदिर के ताले नहीं खुलवाए गए।
तब अनशन पर बैठी उमा भारती को मनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुद आना पड़ा था और वादा किया था कि सोमेश्वर मंदिर के ताले शीघ्र खुलवा दिए जाएंगे। लेकिन 1 साल होने को है। सोमेश्वर मंदिर के ताले नहीं खोले गए हैं।