कारगिल विजय गाथा, सागर के लाल ने सीने में तीन गोलियां खाकर भी छुड़ाए रखे थे दुश्मनों के छक्के
कारगिल के हीरो शहीद कालीचरण युद्ध में दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के
कारगिल विजय गाथा, सागर के लाल ने सीने में तीन गोलियां खाकर भी छुड़ाए रखे थे दुश्मनों के छक्के
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध को 24 वर्ष हो चुके हैं भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस और शौर्य को दिखाते हुए युद्ध में विजय हासिल की थी इस युद्ध में देश के सपूत और सागर के लाल कालीचरण तिवारी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. उनकी यूनिट के अधिकारी बताते हैं कि महज 22 साल की उम्र में जान न्यौछावर करने वाले शहीद कालीचरण तिवारी करगिल युद्ध में अपने मोर्चे पर डटे रहे।
अचानक उनकी यूनिट पर गोलीबारी शुरू हो गई। वे लगातार दुश्मनों पर गोलियां दागते रहे, जिसके कारण दुश्मन यूनिट पर हावी नहीं हो सके, लेकिन इस मुठभेड़ में लांस नायक कालीचरण शहीद हो गए। शहीद कालीचरण का जन्म 28 अगस्त 1976 को हुआ था। परिवार में 4 भाई और 2 बहनें थीं, कालीचरण का बचपन से ही फौजी बनने का सपना था। जिसके चलते 26 अप्रैल 1996 में महज 19 साल की उम्र वे सेना में भर्ती हुए थे जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अंकलेश्वर दुबे बताते हैं कि बॉर्डर पर युद्ध से पहले कालीचरण छुट्टी पर आए हुए थे लेकिन उन्होंने मेरे सामने ही अपने यूनिट के अधिकारियों को फोन लगाकर छुट्टी कैंसिल करा दी थी
1999 में उनकी पोस्टिंग कश्मीर में हुई। युद्ध में कालीचरण को दुश्मनों से लड़ते हुए सीने में दाहिनी तरफ तीन गोलियां लगी, लेकिन इसके बाद भी मातृभूमि की रक्षा और तिरंगे के सम्मान में आंच तक नहीं आने दी। कारगिल विजय दिवस पर भारत माता के सच्चे सपूत कालीचरण तिवारी को सागर टीवी न्यूज़ बार-बार नमन करता है