सागर झील में खिल रहे कमल ने बढ़ाई सुंदरता, देखिए कैसे होती है इसकी खेती !
सागर तालाब यानी कि लाखा बंजारा झील में 4 सालो के बाद कमल की खेती की जा रही हैं. तालाब में कमल खिलने से इसकी सुंदरता और अधिक बढ़ गई है, इसके पीछे जलीय पारिस्थितिक तंत्र बताया जा रहा है बहुत ही कम मिलने वाला यह फूल बेचकर कुछ लोग अपना घर परिवार चलाते हैं.
कमल की खेती करने वालो को दलदली टाइप के जगह की जरूरत हो और उसमें करीब 2 महीने तक पानी भरा रहे, एक बार या तो कमल को लगाया जा सकता है या एक बार लगाने के बाद हर साल यह स्वतः ही होता रहता है इसमें किसानों और मछुआरों के द्वारा अपनी जगह निश्चित रहती हैं वहीं पर या खेती करते हैं. कमल का एक फूल थोक के भाव में 5 रुपए तक बिक जाता है फूल होने के बाद यह फल बन जाता है जिसे कमलगट्टा कहते हैं इसका उपयोग मखाने बनाने के लिए किया जाता है या पूजन सामग्री में भी इसका इस्तेमाल होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पत्तों से बनने वाले पत्तल दोना चलते हैं वहां पर कमल के पत्तों को खरीदा जाता है पानी कम होने के बाद जब जगह जगह सूखने लगती है तो उसकी जड़ें खोदी जाती हैं जिसको मुरार कहा जाता है इस मुरार को बेचा जाता है इसे भी लोग बड़े ही चाव के साथ खाते हैं कहते हैं इसमें वसा और प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है।