सागर-डॉ.ने नारियल से बना दी बागेश्वर सरकार की अनोखी प्रतिमा,पं.धीरेंद्र शास्त्री को भेंट करेंगे
नारियल के खोल से कलाकारी करने वाले एक डॉक्टर ने हनुमानजी का दुर्लभ विग्रह तैयार किया है जो देखने में हुबूहू बागेश्वर सरकार के जैसा दिखाई दे रहा है. उन्होंने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की इच्छा पर नारियल से बागेश्वर धाम सरकार के स्वरूप की प्रतिकृति के रूप में इसे तैयार किया है. यह देखने में काफी आकर्षक लग रहा है. बता दें कि सागर के मोती नगर में रहने वाले डॉ. लोकनाथ मिश्रा के द्वारा साढ़े तीन महीनों में इस विग्रह को तैयार किया गया है. जल्द ही वह इसे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को सौंप देंगे. इसे बनाने को लेकर डॉक्टर लोकनाथ मिश्रा बताते हैं कि दिसंबर के महीने में दमोह में उनकी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात हुई थी, जहां पर चर्चा के दौरान दोनों लोगों के बीच नारियल की प्रतिमा बनाने की सहमति बनी थी. आगे बताया कि नारियल की नरेटी से उन्होंने 22 इंच ऊंची प्रतिमा तैयार की. इसमें हनुमानजी आसन लगाकर आशीर्वाद की मुद्रा में बैठे हुए नजर आ रहे हैं. साथ ही इसमें नारियल को इस तरह से लगाया गया है कि इंसानों के जैसे सिक्स पैक भी उनके नजर आ रहे हैं. हनुमानजी की पूंछ बनाने के लिए नारियल की जटाओं का उपयोग किया गया है. साथ ही कई छोटी-छोटी और बड़ी नारियल के खोल को मिलाकर मुगदर भी तैयार किया गया है. लोकनाथ मिश्रा बताते हैं कि वह बागेश्वर धाम सरकार से लंबे समय से जुड़े हुए हैं. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से भी उनकी मुलाकात होती रहती है. वह नारियल के खोल को लेकर पहले भी कई चीजें बना चुके हैं, जिसमें गणेशजी, कछुआ, चूहा, सांप, तबला जैसी कई चीजें हैं. उन्होंने कहा कि हनुमानजी के इस विग्रह को बनाने में हनुमानजी महाराज की प्रेरणा ही रही, जिसकी वजह से उन्हें यह दायित्व सौंपा गया. इसे बनाने में बहुत तपस्या और मेहनत लगी, लेकिन हनुमानजी ने समय-समय पर जो कठिनाइयां आईं उनका मार्गदर्शन भी अप्रत्यक्ष रूप से किया, जिसकी वजह से यह विग्रह बनकर तैयार हो पाया है. बता दें कि बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 24 अप्रैल से 30 अप्रैल तक सागर की बहेरिया में श्रीमद् भागवत कथा करने आ रहे हैं. इस दौरान ही उनको यह प्रतिमा सौंपी जाएगी. डॉक्टर लोकनाथ मिश्रा ने तो यह भी दावा किया है कि हनुमानजी महाराज के विग्रह बनने की सूचना पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री तक उन्होंने भिजवा दी है. जब वह कथा करने सागर आएंगे तो इस प्रतिमा को लेने खुद ही उनके घर पर पहुंचेंगे.