अमझरा सरकार ने सपना देकर फिर खुदाई में निकली थी प्रतिमा
सपने में आये थे हनुमान, ने बताया खुदाई में मिलेगी प्रतिमा
अमझरा सरकार ने सपना देकर फिर खुदाई में निकली थी प्रतिमा
सागर जिले में मप्र-उप्र के बॉर्डर पर मूंछ वाले हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमा है। भगवान की यह प्रतिमा मालथौन क्षेत्र में अटा कर्नलगढ़ गांव के पास स्थित अमझरा घाटी पर अमझरा सरकार के रूप में विख्यात है। यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है।हाथ में मुस्कुरा लिए खड़ी हुई प्रतिमा और तनी हुई मूंछें शायद ही ऐसी कहीं प्रतिमा देखने को मिले कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाने वाले हाईवे पर यह विराजमान हैं। भक्तों की मान्यता है कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। लोग शनिवार और मंगलवार को पहुंचकर अपनी अर्जी लगाते हैं। मनोकामना पूरी हो जाने के बाद झंडे और घंटे चढ़ाते हैं। मंदिर के बाहर और उसके आसपास छोटी-छोटी घंटियां लगी हैं। यहां आने वाले भक्त जहां पहले हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाते हैं, इसके बाद हनुमान जी की सेना कही जाने वाले लाल मुंह के बंदरों को भी प्रसाद खिलाते हैं।मंदिर की स्थापना करने वाले बुजुर्ग हरेंद्र शाह बुंदेला राव साहब ने बताया कि हमारे पूर्वज को सपना आया था कि सागर जिले के खिमलासा के जंगलों में हनुमान जी की प्रतिमा जमीन में छिपी हुई है वे उस जगह पर पहुंचे और खुदाई की तो वहां पर करीब 8 फीट लंबी हनुमान जी की प्रतिमा निकली, उस प्रतिमा को लेकर आगे बढ़े और अमझरा घाटी के यहां रख दिया और पूजा पाठ करने लगे, इसके बाद हनुमान जी महाराज को आबादी वाले इलाके के पास ले जाने के लिए जब मूर्ति को उठाना चाहा तो वह हिली तक नहीं। इसके बाद यहां पर एक छोटी सी मडिया बना दी गई और आसपास के लोग आने लगे। जिनकी मुराद पूरी होती है।