आपने रामायण पढ़ी है तो भगवान राम की वानर सेना में रीछराज के रूप में जामवंत (जांबवन) के पात्र और उनकी महिमा से बखूबी वाकिफ होंगे. वही जामवंत, जिन्होंने हनुमान का उनकी शक्तियों का भान करवाया था. आपको ताज्जुब होगा जानकर कि मध्य प्रदेश के सागर में जामवंत का एक पुराना मंदिर है. प्रदेश में तो यह ऐसा इकलौता है, देश में भी जामवंत के इक्का-दुक्का मंदिर ही मिलते हैं. यहां कई खासियतें हैं. कहते हैं यहां रीछराज खुद आया करते थे. रोचक फैक्ट्स जानने के साथ ही आपको बताएं कि हनुमान जयंती पर सिर्फ हनुमान मंदिरों ही नहीं, जामवंत मंदिर में भी खासी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.यह मंदिर कितना पुराना है? कैसे इसकी स्थापना हुई? बुजुर्ग बताते हैं कि इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. वर्षों से यहां पूजा होती आ रही है लोगों के दुख-कष्ट मिट रहे हैं. यहां पहले पहाड़ी और जंगली इलाका हुआ करता था. आसानी से यहां रीछ आ-जा सकते थे लेकिन आज के समय में रीछ तो क्या बंदरों का रह पाना मुश्किल हो गया है.इस प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर को गलगल टोरिया के नाम से जाना जाता है. यहां अर्जी लगाने के बाद पांच मंगलवार आने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां श्रद्धालु आस्था और श्रद्धा के भाव से पहुंचते हैं. बहुत पहले तक यहां केवल चबूतरा हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती गई तो आज मंदिर ने भव्य रूप ले लिया है. सबसे पहले 1955-56 में यहां मड़िया का निर्माण किया गया था. इसके बाद लगातार जीर्णोद्धार का काम चल रहा है. मंगलवार और शनिवार को सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं.मंदिर के पुजारी शालक राम कटारे ने बताया कि यहां विशेष रुप से कोर्ट से संबंधित अर्जी लगाई जाती है. जो श्रद्धालु श्रद्धा भाव से जामवंत और हनुमानजी की शरण में आता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है. अर्जी लगाने के लिए नारियल की सीधी भेंट चरणों में रखते हैं. मंदिर के किसी भी हिस्से में गांठ बांधते हैं. मनोकामना पूर्ण होने के बाद सामर्थ्य अनुसार श्रद्धालु सेवा या दान करते हैं.जानकार बताते हैं कि पूरे देश में जामवंत के दो से तीन मंदिर ही हैं. गुफाएं बहुत सी जगह पर हैं लेकिन मंदिर बहुत कम हैं. मध्य प्रदेश का संभवत: इकलौता ही मंदिर है. शास्त्रों के अनुसार जो 8 पात्र अमर हैं उसमें जामवंत भी हैं. भगवान ब्रह्मा के तीसरे अवतार हैं, जिन्हें पौराणिक कथाओं के अनुसार अमर होने का वरदान है. उन्होंने मत्स्य अवतार को छोड़ कर कूर्म अवतार से लेकर श्रीकृष्ण अवतार तक सभी के दर्शन किये. वामन, राम व कृष्ण अवतारों की कई कथाओं में उनका जिक्र मिलता है.
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