सागर में श्रद्धा और आस्था की खेती, घर में लगे जवारे देवी को किए अर्पित
सागर में श्रद्धा और आस्था की खेती, घर में लगे जवारे देवी को किए अर्पित
सागर में श्रद्धा-आस्था की खेती घर में लगे जवारे देवी को किए अर्पित
चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों में माता आदिशक्ति की नौ रूपों में उपासना की जाती है माता को प्रसन्न करने और अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए भक्तों के द्वारा तरह-तरह के जतन किए जाते हैं नवरात्रि पर सदियों से चली आ रही अलग-अलग तरह की परंपराएं देखने को भी मिलती हैं. इन्हीं में से एक है सामूहिक रूप से जवारा विसर्जन की बुंदेली परंपरा.बुंदेलखंड में जवारे को लेकर श्रद्धालुओं में गजब की आस्था देखने को मिलती है 9 दिन तक माता रानी की पूजा अर्चना करने के बाद नवमी तिथि को इन का विसर्जन किया जाता है, लेकिन इससे पहले चैत्र नवरात्रि शुरू होते ही अपने पारंपरिक और पुश्तैनी जवारे की खप्पर या घट की स्थापना करवाई जाती है फिर उसी को लेकर अपने देवी मंदिर में उसे अर्पित किया जाता है. माता में आस्था रखने वाले कुछ लोगों के द्वारा जहां कील से भरी पटरियों पर नाचा जाता है तो वही कुछ भक्तों के द्वारा कटीले हंटर की बौछार खुद पर करवाते हैं. कहीं पर मनोकामना पूर्ण होने पर इस दिन राई नृत्यांगनाओं के द्वारा बधाई नृत्य भी करवाया जाता है. जवारे विसर्जन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में भारी एकता देखने को मिलती है सभी लोग एक जगह पर एकत्रित होते हैं और फिर एक साथ वे गांव की गलियों से निकलते हुए देवी मंदिर पहुंचते हैं. फिर वहां से उनको किसी तालाब नदी या खेत में ले जाकर विसर्जित करते हैं