सागर भूकंप की दृष्टि से भारत का सबसे महफूज स्थान, यहां नहीं होता भूंकप का असर
सागर में नहीं आता भूंकप भारत का सबसे महफूज स्थान !
सागर भूकंप की दृष्टि से भारत का सबसे महफूज स्थान, यहां नहीं होता भूंकप का असर
भारत के मध्य में स्थित बुंदेलखंड भूकंप की दृष्टि से बहुत सुरक्षित क्षेत्र है. इसमें सागर और दमोह में विंध्याचल की बेसाल्ट पाई जाती हैं. यह चट्टानें जमीन से करीब 2 किलोमीटर की गहराई तक है. तो वही छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, निवाड़ी में ग्रेनाइट की चट्टानें पाई जाती हैं, जो बहुत ही ज्यादा कठोर हैं. इसलिए यहां गतिशील भ्रंस न होने की वजह से इनके नीचे भूकंप उत्पन्न नहीं होता है. लेकिन यह जरूर है की इस इलाके के आसपास अगर कहीं भूकंप आता है, तो उसका प्रभाव पड़ता है. अगर कहीं पास में भूकंप आया है, तो प्रभाव ज्यादा पड़ता है. जिसकी तीव्रता 3.5 से लेकर 4 तक हो सकती है. हालाँकि इससे ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वहीं अगर भूकंप दूर आया है तो बहुत ही न के बराबर झटके आते हैं. डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्र विभाग के प्रोफेसर पीके कठल बताते हैं कि बुंदेलखंड क्षेत्र में विंध्याचल पर्वत श्रंखला और ज्वालामुखी लावा से बनी कठोर बेसाल्ट चट्टानें होने से कोई गतिशील भ्रंश नहीं है. बुंदेलखंड के छतरपुर टीकमगढ़ पन्ना निवाड़ी में ग्रेनाइट चट्टान है. सागर और दमोह की जमीन के नीचे कठोर विंध्याचल पर्वत श्रंखला के साथ दक्कन ट्रैप चट्टाने पाई जाती हैं, जो एक बहुत मजबूत फाउंडेशन देती हैं. इनके कारण यहां की भूमि में कोई सक्रिय भ्रंश न होने से बुंदेलखंड क्षेत्र में भूकंप नहीं आते. सागर-दमोह जिले की जमीन के नीचे इन चट्टानों की परत की ऊपरी 9 लेयर है जो 6 करोड़ वर्ष पुरानी है और विंध्याचल पर्वत की चट्टाने करीब 57 करोड़ वर्ष पुरानी है. मध्यप्रदेश का उत्तर पश्चिमी भाग का बड़ा हिस्सा जिसमें सागर और बुंदेलखंड के सभी हिस्से आते हैं, भूकंप की दृष्टि से काफी सुरक्षित माने जाते हैं. विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बताते हैं कि देश के संपूर्ण भूभाग को भूकंप तीव्रता के आधार पर 5 जोन में बांटा गया है. सर्वाधिक तीव्रता के भूकंप जोन पांच में और सबसे कम भूकंप आने की संभावना जोन-2 में रहती है. बुंदेलखंड सबसे कम भूकंप आने वाली जोन-2 में शामिल है.