बुंदेलखंड में मां जगदंबा को लेकर अटूट आस्था है. कई प्राचीन मंदिर इलाके में मौजूद हैं. जहां नवरात्रि के समय हजारो की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों की पहुंचते है. सागर जिले के रहली में टिकीटोरिया पहाड़ी पर स्थित मंदिर को बुंदेलखंड की मैहर वाली माता के नाम से जाना जाता है. यहां भी इन दिनों आस्था का सैल्ब उमड़ रहा है. रहली-जबलपुर मार्ग पर टिकीटोरिया पहाड़ी है. इसी पहाड़ी पर माता का मंदिर है. टिकीटोरिया माता मंदिर का निर्माण 1832 में मराठा रानी लक्ष्मीबाई खेर द्वारा कराया गया था. यहां अष्टभुजाधारी सिंहवाहिनी की पाषाण प्रतिमा स्थापित की गई थी. करीब 55 साल पहले नगर के वरिष्ठ मातादीन अवस्थी और द्रोपदी बाई के सौजन्य से सुरेन्द्र नाथ अवस्थी द्वारा संगमरमर की नयनाभिराम मूर्ति की स्थापना करायी गयी। जिसमें माता की प्राचीन प्रतिमा को भी क्षति पहुंचाई गई। जिसे करीब 2 से 3 वर्ष पहले जीर्णोद्धार समिति द्वारा बदला गया और विधि विधान से पुन: प्राण प्रतिष्ठा की गई।
1984 तक लोग पेड़ों के सहारे पहाड़ पर माता का दर्शन करने पहुंचते थे. सीधी पहाड़ी होने के कारण टिकीटोरिया चढ़कर मां का दर्शन करना काफी मुश्किल था. लोग पत्थर रखकर मंदिर तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाते थे. जीर्णोद्धार हुआ तो मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया गया. फिलहाल, 350 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर लोग माता का दर्शन करने पहुंचते हैं.
अब स्थानीय विधायक और पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे का निर्माण कराने का फैसला किया है. सरकार की भी मंजूरी मिल गई है. प्रोजेक्ट के तहत करीब 200 मीटर का रोपवे माता मंदिर तक बनाया जाएगा. इससे निशक्त और बुजुर्ग लोगों के लिए माता का दर्शन करना आसान हो जाएगा.यह बुंदेलखंड का पहला ऐसा मंदिर होगा, जहां रोपवे की सुविधा होगी.
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