बुंदेली अभिवादन की परंपरा में राम राम, जय सिया राम जैसे शब्द एक ही पल में किसी को भी अपने से जोड़ लेते है, लेकिन ना जाने ऐसे कितने और शब्दो से बुनी कहावते, किस्से, कहानियां बोली भाषा है जो ना लोगों को केवल सीधा जोड़ती हैं बल्कि उनकी यादों में, उनके जीवन में भी रच बस जाति हैं, बुंदेली की इसी खूबी ने इजराइली लड़कियों को अपनी और खींचा जिसके बाद वे बुंदेली सीखने की चाह में 5 देशों को पार कर 5 हजार 540 किलोमीटर की यात्रा करते हुए सागर पहुंची हैं, इज़राइल से आई अविव और जूडिथ बुंदेली भाषा के साथ-साथ यहां की संस्कृति खानपान से भी परिचित हो रही हैं, अविव और जूडिथ बुंदेलखंडी के कुछ कुछ शब्द जैसे राम राम, जय सियाराम, सीताराम बोलना शुरू किया है तो वही बुंदेलखंडी के "हओ" पर भी कोशिश कर रही है । उन्होंने सागर के प्रसिद्ध गढ़पहरा और परेड मंदिर को घुमा है वही विश्वविद्यालय पहुंचकर वहां की बहुत तारीफ की इसके साथ ही उन्होंने साबूदाना खिचड़ी आलू चाट को चख कर फायर पान का भी आनंद लिया हैं। फिलहाल उन्हें बुंदेली भाषा सिखाने और सागर के कल्चर से परिचित कराने का जिम्मा बीएमसी के बायोलॉजी प्रभारी डॉ सुमित रावत ने उठा रखा है क्योंकि खुद बुंदेली से जुड़े हुए हैं और बुंदेली को प्रोत्साहित करने के लिए लगे रहते हैं इजराइल से आई लड़कियों को लेकर भी कहते हैं कि यह दोनों ऋषिकेश उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों से होते हुए खजुराहो पहुंची थी जहां उन्हें उनके सागर आने की इच्छा का पता चला था जिसके बाद उन्होंने इन्हें सागर बुलवाया और अपने घर ले गए जहां अतिथि देवो भावा के रूप में सबसे पहले माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारते हुए उनका स्वागत किया जिससे दोनों ही लड़कियां खूब खुश हुई अविव और जूडिथ बुंदेली के साथ योगा में भी विशेष रूचि दिखा रही हैं डॉ सुमित रावत कहते हैं कि सागर शहर के लोगों का गुटका खाकर सड़कों पर थूकना उन्हें अजीब लगा है कि यह लोग इतनी गंदगी क्यों फैलाते हैं ।
फिलहाल डॉक्टर सुमित रावत की मदद से अविव और जूडिथ दोनो कुछ दिन और सागर में रुककर बुंदेली सीखेंगी ।
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Sagar TV News.