ताप विद्युत गृह में लगी के बाद कई वन्य प्राणियों के जान जाने की आशंका
बैतूल जिले के सारनी में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी के राख बांध में भीषण आग लग गई, दो दिन से सुलग रही इस आग को अभी तक काबू में नहीं किया जा सका। इसे बुझाने के लिए मजदूर और फायर ब्रिगेड की टीम कडी मषक्कत कर रही है। इस आग से कई वन्य प्राणियों की भी जान जाने की आषंका है। हालांकि, यह आग कैसे लगी इसकी वजह सामने नहीं आ सकी। वीओ बताया जाता है कि विद्युत गृह के साथ ही कोयला जलाने से बनने वाली राख को स्टोर करने के लिए सतपुड़ा ताप विद्युत गृह प्रबंधन द्वारा राख बांध का निर्माण किया गया था और यह राख हवा में ना उड़े इसलिए उसे रोकने के लिए बड़े स्तर पर राख बांध पर घास लगाई गई है और यहां बड़ी संख्या में पक्षी, सरीसृप और वन्यप्राणी भी रहते हैं। जिनमें खरगोश, जंगली सुअर, साही इत्यादि शामिल हैं। लेकिन शुक्रवार की सुबह राख बांध के सारनी शहर से सटे हिस्से में भीसण आग लग गई। जिसकी जानकारी पर्यावरणविद् आदिल खान को दी गई, मौके पर पहुंचे आदिल ने देखा कि लगभग पन्द्रह फीट ऊंची आग की लपटे उठ रहीं है और वन्य जीव इधर से उधर भाग रहें है। तभी आदिल ने सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी के मुख्य अभियंता कैथवार, सारनी उप वन मंडल एसडीओ और नगरपालिका सारनी सीएमओ सी.के.मेश्राम को इसकी जानकारी दी। मौके पर मुख्य अभियंता और अग्नि सुरक्षा अधिकारी पहुंचे। लेकिन समस्या यह पैदा हो गई कि दमकल गाड़ियां वहां नहीं पहुंची सकी जहां आग लगी थीं इसी बीच बैतूल कलैक्टर अमन बीर सिंह सहित बैतूल सीसीएफ को भी जानकारी दी गई। बताया जाता है कि शाम करीब छह बजे कुछ मजदूरों को आग बुझाने के लिए राख बांध में उतारा गया, परंतु अंधेरा होने तक एक ही हिस्से को आग बुझाने में सफलता मिली, बाकी क्षेत्र में आग लगातार फैलते जा रहीं थी। शनिवार को भी बांध के कई हिस्सों में आग लगी हुई थी। गौरतलब है कि राख बांध 373 हेक्टेयर में फैला हुआ है। जिसमें से 18 हेक्टेयर छोड़ कर बाकी का क्षेत्र वन विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया है। इसी राख बांध से तीन साल पहले दो बार बाघ का रेस्क्यू किया जा चुका है। परंतु इसके बाद भी यहां भीसण आग लगना प्रषासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहीं हैं