सागर के आगासौद थाना क्षेत्र से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जहां एक पिता बेटे को कानून की मार से बचाने के लिए 17 साल तक छुपाए रखा, इतना ही नहीं गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर वह दौरान खुद को बेबस और मजबूर पिता बताते हुए कभी थाने के तो कभी एसपी ऑफिस के चक्कर लगाए और बार-बार यही कहता रहा कि उसके बेटे को पुलिस ने या किसी और ने गायब कर दिया है बेटे की तलाश के लिए उसने न्यायालय की शरण भी ली, जिला न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक में याचिका लगाई, जहां से मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें एसआईटी गठित कर जांच करने के निर्देश दिए, जिसके बाद एक टीम बनाई और 3 महीने के अंदर खोजबीन की साइबर के सहारे पुलिस ने साल 2005 में गायब हुए 19 वर्ष के मनोज प्रजापति को 36 साल की उम्र में खोज निकाला है वह इंदौर और उज्जैन में फर्जी आईडी के सहारे नाम बदलकर रह रहा था, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ पीड़ित के घर उज्जैन से नार्यावली के मुढ़िया कलरई के राजेश नाम के व्यक्ति से फोन पर बातचीत हुआ करती थी, जिससे पुलिस को इस पर संदेह हुआ और इस नंबर की लोकेशन के आधार पर एक टीम उज्जैन पहुंची जहां युवक को पकड़ा और पूछतांछ की तो उसका सारा राज खुल गया, पुलिस ने मामले में सेमरखेड़ी निवासी मनोज प्रजापति के खिलाफ नरयावली थाने में 419, 420, 467, 468 के तहत मामला दर्ज किया हैछेड़छाड़ के एक मामले हाईप्रोफाइल हुए इस केस की कहानी वर्ष 2005 में शुरु हुई। जानकारी के अनुसार यहां रहने वाले युवक मनोज प्रजापति ने एक लड़की से छेड़छाड़ कर दी। इसके बाद वह गायब हो गया। इधर पुलिस इस आरोपी की गिरफ्तारी के लिए उसके घर समेत अन्य ठिकानों के चक्कर लगाने लगी। दूसरी ओर बार-बार पुलिस की इस आमस से त्रस्त आकर आरोपी युवक मनोज के पिता उसकीगुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज करा दी। लेकिन पुलिस साल में दो-एक बार इस युवक की पूछताछ करने उसके घर पहुंच ही जाती। तब पिता ने इस मामले में
हाईकोर्ट की शरण ली और वहां कहा कि मेरे बेटे अज्ञात लोगों ने मार दिया है या बंधक बना लिया है। उसकी खोजबीन की जाए। वहां से यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। जहां से सुप्रीम कोर्ट ने मप्र पुलिस को निर्देश दिए कि वह इस युवक की खोजबीन के लिए आईजी के नेतृत्व में एक एसआईटी गठित करे और तीन महीने में अपनी रिपोर्ट दे।
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