ताजी सब्जियों का विक्रय केंद्र बना आजीविका फ्रेश, जिले के किसानों ने ब्रोकली खेती कर शुरुआत की
मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं अब अपनी प्रगति के अलग-अलग सोपान तय कर रही है ।ग्राम चितौरा में सब्जी उत्पादक अपने उत्पाद को खपाने के लिए मंडी जाते थे, इससे उनके समय की भी बर्बादी होती थी और समुचित की दाम भी नहीं ले पाते थे। गीतांजलि स्व सहायता समूह ग्राम चितौरा की 2 महिलाओं ने नोडल अधिकारी श्रीमती नीलिमा जैन के प्रोत्साहन से आजीविका फ्रेश के नाम से अपना काउंटर सड़क के किनारे शुरू किया । लीलावती पटेल और रानी पटेल की देखा देखी कर तीन और नई दुकाने सब्जी के विपणन की मुख्य मार्ग के दोनों तरफ प्रारंभ हो गई। राहगीरों को खेत से टूटी हुई ताजा सब्जी इन दुकानों से मिलने लगी। इन दुकानों में सब्जियों के रेट बाजार की सब्जियों की तुलना में अपेक्षाकृत कम होते हैं। इसके अलावा यह सब्जियां एकदम ताजी और फ्रेश होती हैं। सब्जियों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अनूप तिवारी जिला प्रबंधक को इन महिलाओं को जैविक तरीके से देशी तरीके से कीट नियंत्रण खाद व जीवाणु बनाना सिखा दिया। इससे सब्जियों में घातक जहरीले रसायनों का प्रयोग घट गया, जो खरीदार ग्राहकों के लिए सर्वथा सुरक्षित और उचित होता है। लीलावती ने बताया कि वह रोज अपनी दुकान से रू. 800 से लेकर रू. 2000 तक की बिक्री कर लेती है। इस बिक्री के कार्य में उसके ससुर उसकी मदद करते हैं। वह सब्जी के उत्पादन और विपणन के साथ-साथ अपने बच्चों को समय दे पाती हैं। इसी प्रकार रानी पटेल रक्षा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी रेखा लोधी का कहना है की मंडी की तुलना में वे अपनी सब्जियों से स्वयं बेचकर ज्यादा कमा पाती है। उनके ग्राहकों को पता है कि सब्जी की दुकान के ठीक पीछे जो खेत है यह ताजी सब्जियां वहीं से तोड़कर लाती है। यह लोग उतनी ही सब्जियां रोज तोड़ती है, जितनी वे बेच सके ,इसलिए इनके काउंटर पर सब्जी का बासी होना या बर्बाद होने की गुंजाइश घट जाती है।