खुरई - मां के बिना बचपन, महात्मा के बिना जीवन और परमात्मा के बिना मरण बेकार है। बड़े वो भी हो गए जिनके बचपन मे ही मां का वियोग हो गया। जीवन वो भी निकाल रहे हैं, जो कभी किसी महात्मा के संपर्क में न आये। मृत्यु होती है, परंतु वह दुख वही जानते हैं जिन्होंने बचपन से माँ का वियोग भोगा है। बड़े हो जाना, शादी हो जाना, धंदे से लग जाना, हो जाता है ये सब। बचपन कितनी मुसीबत से कटा, जो माँ का प्यार, माँ की गोद, उसके हाँथ का भोजन, दुलार इसका बहुत फर्क पड़ता है। पूज्य संत कमल किशोर नागर जी ने खुरई में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छटवें दिवस के सोपान में इन तीन शब्दों से कथा की शुरूआत की।
संत श्री नागर जी ने कथा में कहा कि एक माँ का दूध पिये और एक सीसी का, बड़े दोनो हो जाते हैं। लेकिन दोनों में बहुत फर्क होता है। भगवान कभी बचपन मे माँ से वियोग न कराबे, जीवन में महात्मा से और मरण में परमात्मा से विमुख न हों। लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा भक्तों से भरे पंडाल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रारंभ में पूज्य संत श्री कमल किशोर नागर जी ने कहा कि इस कथा का परम मनोरथ यजमान श्री भूपेंद्र सिंह जी को प्राप्त हुआ है, ठाकुर जी ने ठाकुर पर बड़ी कृपा करी। संत नागर जी ने समस्त धर्मसभा और व्यास गादी की ओर से यजमान परिवार का साधुवाद किया।
संत श्री नागर जी ने कथा में आगे कहा कि माँ शब्द क्यों दिया, पिता भी है, क्योंकि माँ का गौरव बढ़ा है ऐसा शास्त्रों का मानना है। माँ का गौरव बड़ा है इसलिए नारी कभी पिता के यहां नही जाती। उससे पूछो कहा गयी थी, तो मायके गयी थी। पिताके, भाईके, भाभीके नही मायके गयी थी। जब नारी मायके जाती है, माता पिता सबको देख के उसकी सब थकान भाग जाती है। नारी का जितना भरा पूरा घर हो, भैया भाभी बहुत अच्छा रखते भी हों, सम्मान भी करते हों, अच्छा साड़ी कपड़ा देते हैं। पर बहिन जब मायके जाती है और माँ नजर नही आती है तो उसकी पूर्ति कोई नहीं कर सकता। भैया भाभी अच्छा रखते हैं, तीन तीन बार भोजन की पूछते हैं, पास में बैठके बात करते हैं, फिर वही उसको बात वही, सब कुछ है पर मां नही है। माँ माथे पे हाँथ फेर देती है सारा बजन उतर जाता है उसका। संत नागर जी ने कहा कि भीष्म पितामह की इक्छा थी कि में द्वारकानाथ श्रीकृष्ण की गोद मे ही शरीर त्यागूंगा। जटायु ने यदि श्रीराम की गोद मे शरीर छोड़ा, जटायु कहता बचपन से की मेरी माँ कह गयी थी कि राम राम जपना, वो जपता रहा और श्रीराम की गोद मे प्राण त्यागे। जटाओं वाले भीष्म पितामह ने इक्छा करी थी कि गोद मे शरीर छोडूं भगवान के, वो जटा वाला रह गया और जटायु गोद मे चला गया।
खुरई के गुलाबरा बगीचा में पूज्य संत श्री कमल किशोर नागर जी के श्रीमुख से चल रही भव्य श्रीमदभागवत कथा का आज समापन होगा। इसी प्रकार कल शुक्रवार 16 दिसम्बर को प्रातः 10 बजे से रात्रि 9 बजे तक भैरव बाबा मंदिर, गुलाबरा बगीचा खुरई में विशाल भंडारे का आयोजन श्रीमदभागवत कथा के मुख्य यजमान श्री भूपेंद्र सिंह द्वारा आयोजित किया गया है। खुरई विधायक और प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने सभी को सपरिवार सादर आमंत्रित कर विशाल भंडारे में प्रसादी पाकर धर्मलाभ लेने का आग्रह किया है।
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