माझी फ़िल्म का फेमस डायलॉग आपको याद ही होगा की " भगवान के भरोसे मत बैठो हो सकता है भगवान हमारे भरोसे बैठे हो" जी है एमपी के सागर में स्कूल आने-जाने वाली सड़क खस्ताहाल होने से परेशान शिक्षकों और स्कूल स्टाफ ने इस डायलॉग को चरितार्थ करने की कोशिश की और सरकार, नेताओ और प्रशासन के भरोसे न बैठते हुए खुद ही हाथों में फावड़ा-तसला उठा कर सड़क के जानलेवा गड्ढों को भरा और विरोध स्वरूप संदेश देंना चाहा।
दरअसल, भैंसा पहाड़ी से राष्ट्रीय राजमार्ग 44 तक करीब 5 किलोमीटर तक की सड़क लगभग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। इस मार्ग पर गढ़पहरा का प्रसिद्ध मंदिर और सरकारी, निजी विद्यालय स्थित हैं। महार रेजिमेंट पब्लिक स्कूल के एक हजार से अधिक विद्यार्थी और शिक्षक-शिक्षिकाएं इसी मार्ग से रोजाना आवागमन करते हैं। सड़क जर्जर होने और जानलेवा गड्ढे होने से हमेशा दुर्घटना का खतरा रहता है। साथ ही धूल से परेशान होते हैं। शिक्षकों ने सड़क की मरम्मत के लिए प्रशासन को पत्र लिखा। साथ ही शिक्षक और अभिभावकों ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
इस समस्या से जूझ रहे महार रेजेमेंट पब्लिक स्कूल के शिक्षक आगे आये और जानलेवा गड्ढ़ो को भरने का प्रयास किया। किताबें और कलम पकडने वाले हाथों को मजबूर होकर गिट्टी से भरे तसले और फावड़ा उठाना पड़ा । इस सड़क से स्कूल के बच्चे , साथ ही श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आना जाना है. करीब दो सालों से इस रोड का निर्माण रुक हुआ है,खराब रोड की वजह से दुर्घटना का अंदेशा भी बना रहता है,हद तो तब हो गयी जब सीएम हेल्प लाइन में कई गयी शिकायत के समाधान में इस रोड के निर्माण को पूर्ण बता कर शिकायत बंद कर दी.प्रशासन की इस बेरुखी से तंग आ कर स्कूल के टीचर्स ने खुद ही तसले में गिट्टी भरी और गड्ढे भरने की कोसिस की.इस कोशिश से रोड भले ही चलने लायक न बन सके लेकिन स्कूली टीचर्स द्वारा मजदूर जैसे रोड के गड्ढे भरते हुए देख शायद जनप्रतिनिधि और सरकार को कुछ कर्तव्य याद आये यह उम्मीद जरूर की जा सकती है ।
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