सागर की प्रसंशा में क्या बोले फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा
सागर के युवाओं से संवाद में दिल लूट ले गए आशुतोष राणा
सागर की प्रसंशा में क्या बोले फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा
डॉ. हरिसिंह गौर की 153 वीं जंयती के अवसर पर मनाये जा रहे, गौर उत्सव के तहत विष्वविद्यालय के स्वर्ण जंयती सभागार में प्रसिध्द सिने अभिनेता एवं साहित्यकार आशुतोष राणा ने युवाओं से संवाद किया। संवाद में आशुतोष राणा ने कहा कि विष्वविद्यालय की स्थापना के पीछे डॉ. गौर की बडी सोच थी कि इस पिछड़े क्षेत्र में षिक्षा का उजाला फैले और यहां की प्रतिभाओं को देष-विदेष में नाम कमाने का मौका मिले। देष दुनिया से षिक्षा की चाह रखने वाले लोग यहां तक पहुंचे है। लोग हमेषा ही बडें महानगरों में शैक्षणिक संस्थान स्थापित करना चाहते है। डॉ. गौर ने पिछडे क्षेत्र में षिक्षा का बडा केन्द्र खोला। उन्होंने बताया कि डॉ. गौर ने एक बार अपने नजदीकी रिष्तेदार के बेटे के कम अंक होने पर विष्वविद्यालय में प्रवेष न होने पर कहा था कि सागर विष्वविद्यालय गरीब और पिछडे क्षेत्र की प्रतिभाओं के लिए है, मूर्खो के लिए नहीं। आगे कहा कि उनका सौभाग्य है कि उन्हें यहां पढ़ने का अवसर मिला। यह सागर विष्वविद्यालय ही है, जिससे एक गाडरवाड़ा जैसे छोटे स्थान से आये एक लड़के को इतने उंचाईयां चढने लायक बनाया। उन्होंने कलेक्टर दीपक आर्य और पुलिस अधीक्षक के आग्रह पर प्रेयसी और माता पिता पर भावुक कविता की पंक्तियां सुनाई। उन्होंने डॉ. गौर विष्वविद्यालय सागर की प्रषंसा करते हुए कहा कि सागर महासागर की तरह है, जहां उपर तो खरा पानी है पर जो इसकी गहराई में जाता है, उसे अपार रत्न संपदा मिलती है। उन्होंने सागर शहर के तीनबत्ती को अति महत्वपूर्ण स्थान बताया। यहां मिलने वाले तीन रास्ते अलग-अलग मार्गो का संदेष देते है।