ये कैसी परंपरा ? मन्नत पूरी करने बच्चे को पालने में डालकर पार कराते हैं नदी,
ये कैसी परंपरा ? मन्नत पूरी करने बच्चे को पालने में डालकर पार कराते हैं नदी,
अन्धविश्वास में डूबे लोग मन्नत पूरी करने बच्चों की जान से खिलवाड़ !
आज भी आस्था के नाम पर लोग जान से खिलवाड़ करते हैं। एमपी के बैतूल जिले में निःसंतान दंपत्ति मन्नत मांगने पूर्णा नदी के पास आते हैं। और मन्नत पूरी होने के बाद नवजात बच्चों को पालने में डालकर नदी पार कराते हैं। बैतूल के भैंसदेही शहर में आस्था और मान्यता के नाम पर मासूम बच्चों को नदी में डुबोया जाता है। बच्चे रोते बिलखते भी हैं। लेकिन उन्हें नदी में डुबोने वाले कोई और नहीं बल्कि उनकी माँ ही होती हैं। जबकि नदी के प्रदूषित पानी से बच्चों को निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है। फिर भी लोगों पर अन्धविश्वास का भूत सवार है। दरअसल भैंसदेही से निकलने वाली पूर्णा नदी के बारे में लोगों की मान्यता है कि संतान हीन दंपत्तियों को यहां आने पर संतान की प्राप्ति होती है। इसलिए हार साल कार्तिक पूर्णिमा पर पूर्णा नदी के किनारे एक बड़ा मेला लगता है। जहां सैंकड़ों की संख्या में लोग इसमें शामिल होते है। इनमें वे लोग भी होते हैं। जिनको संतान नहीं होती या यहां की मन्नत से संतान होती है। ऐसे लोग अपने बच्चे को लाते हैं और नदी में भगत के माध्यम से पूजा कराकर बच्चे को पालने में डालकर नदी पार कराते है। इस दौरान पालने में पानी भर जाता और बच्चा गीला तक हो जाता है। तस्वीरें देखकर ही समझा जा सकता है की लोग अन्धविश्वास में किस कदर डूबे हुए हैं। खैर सागर टीवी न्यूज़ इस तरह की चीजों को बिलकुल भी बढ़ावा नहीं देता।--------