रावण दहन के बाद लोग घर ले जाते हैं अस्थियां,घर में नहीं होती धन की कमी ! मान्यता || SAGAR TV NEWS ||
क्या अपने कभी सुना है की रावण दहन के बाद लोग उसकी अस्थियों को घर ले जाते हों। शायद न सुना हो लेकिन एमपी के बैतूल में रावण दहन को लेकर एक अजीबोगरीब परम्परा है। लोग रावण के दहन के बाद जली हुई लकड़ी अस्थियां मानकर उठाकर घर ले जाते है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर मे धन की कमी नही होती। बीते बुधवार काे विजयादशमी पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया। कई जगह रावण की पूजा भी की गई। लेकिन बैतूल में रावण दहन के बाद उसकी जली हुई लकड़ी जिसे अस्थियां मान कर सहेजा जाता है। पुतले के जलने के बाद उसकी अस्थियां यानी जली लकड़ी को घर ले जाने की अनोखी रस्म निभाई जाती है। लोगों में इसके लिए होड़ सी मच जाती है। बैतूल के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में पिछले 65 साल से रावण, कुंभकर्ण के पुतलों का दहन श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति करती आ रही है। इस साल 55 फ़ीट रावण और 50 फ़ीट का कुम्भकरण का पुतला बनाया गया था। रावण दहन कार्यक्रम देखने हजारों लोग पहुंचते हैं। इनमें कुछ ऐसे भी लोग रहते हैं। जो बस इस इंतजार में रहते हैं कि कब रावण का दहन हो। जैसे ही रावण दहन होता है तो जल रही लकड़ियों को लोग जमीन पर रगड़कर बुझाना शुरू कर देते हैं। जिन्हे ठंडाकर घर ले जाते हैं और पूजन कक्ष में रख देते हैं। कई लोग घर के मुख्य हिस्से में लकड़ी को सुरक्षित रख देते हैं। स्टेडियम से लकड़ी लेकर जा रही आशा ने बताया कि उन्होंने बुजुर्गों से सुना है कि लकड़ी घर में रखने से सब कुछ अच्छा होता है। आमतौर पर अस्थियों को घर लेकर नहीं जाते। लेकिन जली लकड़ी ले जाने को लेकर सुभाष आहूजा का कहना है। क्योंकि रावण भगवान राम के हाथ मारा गया था, बहुत ज्ञानी था। इसलिए लोग उसकी अस्थियां प्रतीक के रूप में ले जाते हैं।-----