सागर में कब और कहाँ शुरू हुई थी मटकी फोड़ प्रतियोगिता की परंपरा देखिए
सागर जिले में 19 अगस्त यानी कि आज शुक्रवार को धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जानी है मंदिरों में इसको लेकर भव्य तैयारियां की गई हैं तो वहीं घरों में भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव को लेकर खरीददारी की जा रही है, लड्डू गोपाल के श्रंगार के लिए खास किस्म की पोशाक पगड़ी मुरली और झूले आए हैं, दुकानदार ग्राहकों के लिए कंपलीट पैकेज उपलब्ध करा रहे हैं, कृष्ण जन्मआष्ट्मी पर जिले के विभिन्न इलाकों में मटकी फोड़ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं लेकिन सागर में जन्माष्टमी त्योहार पर मटकी फोड़ की परंपरा वर्षों पुरानी है। बताया जाता है कि ग्वारी मोहल्ला से मटकी फोड़ प्रतियोगिता शुरू हुई थी। यहां पिछले 65 वर्षों से अधिक समय से मटकी फोड़ी जा रही है। श्रीकृष्ण यादव विकास समिति के संस्थापक व अध्यक्ष गोपीलाल यादव बताते हैं कि ग्वारी मोहल्ले में बचपन से ही मटकी फोड़ प्रतियोगिता देखते आ रहे हैं। तिराहे पर बने मंदिर के पास पेड़ों से मटकी बांधी जाती है। यहां पहले मटकी प्रतियोगिता में मटकी के साथ इनाम के रूप में खिलौने बांधे जाते थे, जो भी मटकी फोड़ता था वह यह खिलौने ले जाता था। सन 1992 में पहली बार मटकी फोड़ प्रतियोगिता में 51 रुपए का नकद इनाम रखा गया था। मटकी फोड़ के साथ ही झांकी भी सजाई जाती है। वर्तमान में यादव समाज के युवा मटकी फोड़ प्रतियोगिता की जिम्मेदारी संभाल रहे