सागर-एलर्जिक सर्दी और नज़ला हो सकती है अस्थमा की शुरुआती स्टेज || SAGAR TV NEWS ||
ज्यादातर मरीज़ और कई डॉक्टर भी अलर्जिक सर्दी को आम सर्दी से अलग नहीं समझ पाते और उसे नज़रंदाज़ करते रहते हैं। जब तक की ये अलर्जिक सर्दी और दूसरे दुष्परिणाम जैसे अस्थमा, सायनुसायटिस न होने लगे। बच्चों में सबसे ज़्यादा 40% तक अलर्जिक सर्दी होने की सम्भावना होती है। ये बात सागर की एक निजी होटल में आयोजित संगोष्ठी में डॉक्टर तल्हा साद ने दी। दरअसल बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के टीबी और चेस्ट विभाग, एसोसिएशन ऑफ चेस्ट फ़्यसिशीयन सागर ( ACPS) के सानिध्य से निजी होटल में एलर्जिक सर्दी और नज़ला पर संगोष्ठि आयोजित की गयी थी। जिसे डॉ. तल्हा साद ने सम्बोधित किया। जहाँ उन्होंने काफ़ी विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही बताया की इसकी जाँच के लिए ऐलर्जी टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है जो खून और स्किन पर करायी जा सकती है। इसके इलाज से सम्बंधित तीन तरीक़ों पर ज़ोर देते हुए बताया की जो दवाइयाँ आपको डाक्टर ने लिखी हैं। वो नियमित तौर पर लेनी चाहिए। ऐलर्जी कराने वाली चीजों से दूरी बनाना और ऐलर्जी की वैक्सीन लेना। इस दौरान बड़ी संख्या में डाक्टर ऑनलाइन प्लाट्फ़ोर्म के माध्यम से भी जुड़े। इस मौके पर डॉ. विजय सोधिया, डॉ मनीष जैन, डॉ प्रॉमिस जैन, डॉ प्रियांशु जैन,डॉ डी के पिप्पल,डॉ अनूप सूबेदार,डॉ आर डी नन्होरिया, डॉ सुमित रावत,डॉ अजित असाटी,डॉ सत्येंद्र मिश्रा समेत अन्य स्टाफ मौजूद था।