हे भगवान क्या सितम है ? इन गरीब बच्चियों का कोई नहीं कहाँ जाएंगी बेचारी...
पिता इस दुनिया में नहीं है माँ जेल में बंद है। ऐसे में दो बेटियां कई दिनों तक भूखी रहती हैं। क्योंकि कोई साधन न होने से खाना नसीब नहीं हो रहा घर भी ऐसा है की कब ढह जाए भरोसा नहीं। ये कोई फ़िल्मी कहानी नहीं है। बल्कि दमोह जिले के हटा विधानसभा के पटेरा तहसील अंतर्गत आने वाले पटेरिया गांव की रहने वाली दो बहनों की असलियत है। ऐसे में सरकार की योजनाएं बेटियों की सुरक्षा और तमाम वादे झूठे से लगते हैं। इनका नाम अन्नयपूर्णा लोधी है जिन्होंने नर्सिंग का कोर्स किया है। इनकी बहन हिमालया लोधी बीए तक शिक्षा है। लेकिन दोनों बेरोजगार हैं। पिता का निधन हो चुका है। वहीं ऐसा आरोप है की माँ पिता की झूठी हत्या के केस में जेल में कैद है। जिसे दूसरी माँ के बेटे ने झूठे केस में फंसा दिया। यही नहीं सौतेले भाई ने पिता की सारी जमीन जायदात को हड़प लिया और इन दोनों बहनों को बेसहारा छोड़ दिया। छोटी बहिन अन्नपूर्णा कुछ महीने पहले सागर के भाग्योदय अस्पताल में नर्सिंग का काम करती थी। लेकिन माँ को जेल होने और बड़ी बहिन की दिमागी हालत नाज़ुक होने से नौकरी छोड़नी पड़ी। और अब ये दाने-दाने को मोहताज हैं। मकान की हालत खस्ताहाल है। किसी तरह गुजारा हो रहा है। बीते दिन बारिश में सारे कपड़े भीग गए। वहीं सोशल मीडिया पर जानकारी लगते ही बटियागढ़ की जानी मानी समाज सेवी संस्था एम.एच. क्लब की टीम इनके घर पहुंची जब वास्तविकता देखी तो सोच में पड़ गए। टीम ने महीने भर का राशन 11 हजार रूपये नकद सहायता देकर इन बेसहारा बच्चियों की हिम्मत बढ़ाई। साथ ही आगे भी इनकी हर सम्भव मदद करने का वचन दिया। क्लब के अध्यक्ष ने लोगों से मदद की गुहार लगाते हुए कहा की आगे आएं और इन बेटियों की मदद करें ताकि इनका भविष्य सुरक्षित हो सके।