सागर-पातालिया हनुमान की हैरान कर देने वाली किवदंती || SAGAR TV NEWS ||
सुनार और देहार नदी के बीच में साक्षात देव झाड़ी वाले हनुमान विराजमान हैं. जिन्हें लोगों पातालिया हनुमान के नाम से भी जानते हैं. ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का पैर पाताल से जुड़ा है. इसलिए इन्हें पातालिया हनुमान भी कहते हैं. झाड़ियों की सफाई के दौरान हनुमान जी की यह मूर्ति कई हजार साल पहले मिली थी. जो कि स्वयंभू है
वीओ-सागर जिले की रहली में सुनार और देहार नदी के बीच साक्षात देव झाड़ी वाले हनुमान विराजमान हैं. जिन्हें पातालिया हनुमान के नाम से भी जाना जाता है.पातलिया हनुमान इसलिए इन्हें कहा जाता है. इनका पैर पाताल से जुड़ा हुआ है. जंगल और दोनों नदियों के बीच में टीले पर पातालिया हनुमान विराजमान है.ऐसा कहा जाता है हनुमान जी की मूर्ति स्वयंभू प्रकट हुई थी. यह मूर्ति किसी के द्वारा स्थापित नहीं कराई गई. ऐसी मान्यता है कि झाड़ी वाले हनुमान जी के दर्शन करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं. हनुमान के दर्शन से संकट से मुक्ति मिलती है.
30 से 40 फुट तक कराई गई खुदाई लेकिन नहीं मिला हनुमान जी का पैर
वीओ-कई वर्षों पहले पातालिया हनुमान मंदिर तक पहुंचने के लिए रास्ता दुर्गम होने से नगर के लोगों ने हनुमान जी की मूर्ति नदी के इस उस पार स्थापित करने की योजना बनाई. जिससे कि हनुमान जी का नित्य पूजन अर्चन हो सके .जिसके बाद यहां खुदाई कराई गई. करीब 40 फुट तक खुदाई हुई ,जहां हनुमान जी का पैर एक विशाल चट्टान से जुड़ा मिला. जिसके बाद हनुमान जी की मूर्ति वहीं पर स्थापित है. हनुमान मंदिर पहुंचने के लिए अब रास्ते का निर्माण हो गया है.जिससे भक्त हनुमान जयंती, रामनवमी और अन्य अवसर पर हनुमान जी के दर्शन करने के लिए यहां पर पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.