सागर-सड़कों पर भिक्षा मांगने निकले बटुक ब्राम्हणो को देख हैरान रह गए लोग
बामन अवतार और राजा बली की कथा शायद ही किसी को पता न हो। जब भगवान ने दो पग में त्रिलोक नाप लिया और तीसरे पग के लिए स्थान न रहा। ऐसे में राजा बलि ने तीसरे पग को स्वयं के शीश पर धारण किया था। ऐसा ही दृश्य सागर में दिखाई दिया जब बटुक ब्राम्हण यग्योपवीत के बाद सड़कों पर भिक्षाटन के लिए निकले। लोगों ने भी अभिभूत होकर दान किया। गोपाल गंज में स्थित संस्कृत पाठशाला में हर साल गुरुकुल में यह आयोजन होता है। जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र के नाम से भी जाना जाता है। यहां बता दें कि तिथियों के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वादशी को ही यगोपवीत संस्कार ऋषि परंपरा अनुसार संपन्न किया जाता है। ऋषि कुल संस्कृत विद्यालय में संस्कार संपन्न हुआ है।