सागर- श्री राम वनवासी मंदिर जिसका रामायण काल से जुड़ा है इतिहास
आज श्रीराम नवमी है इस मौके पर हम आपको दर्शन कराते हैं वनवासी राम मंदिर के, हालाँकि ऐसे मंदिर देश में बहुत ही कम जगहों पर हैं। यह श्रीराम वनवासी मंदिर सागर जिले के जैसीनगर में स्थित है को काफी प्राचीन है। मंदिर में एक ही शिला पर श्रीराम सीता और लक्ष्मण जी की मूर्ति वनवासी स्वरूप में विराजमान है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जब वनवास के समय भगवान श्री राम सीता और लक्ष्मण पंचवटी की ओर जा रहे थे तब इस स्थान पर विश्राम किया था और उसी समय इस स्थान पर ब्रह्मदेव के अलावा पीपल का पेड़ था जो आज भी है। इसलिए इस जगह को वनवासी राम मंदिर के नाम जाना जाता है। वर्तमान में मंदिर की देखरेख महाराष्ट्रीयन सरवटे परिवार की 11 वीं पीढ़ी कर रही है। कहा जाता है कि ज़ब बाजीराव पेशवा ने महाराष्ट्र से दिल्ली की ओर कूच किया तभी उनके साथ रहे महाराष्ट्रीयन सरवटे परिवार जो साथ थे। वह जैसीनगर में ही रहने लगे और इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया। आज भी सरवटे परिवार के वंशज देश के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं यहां तक कि अमेरिका में भी उनके वंशज हैं। हर साल राम नवमी पर अपने कुलदेवता श्री राम की पूजा अर्चना के लिए जैसीनगर आते हैं। मंदिर से कुछ ही दूरी पर श्रीराम दरबार मंदिर है। यहाँ पर श्री राम राजा के रूप में विराजमान है। यह मंदिर भी काफी पुराना है इसका निर्माण महाराष्ट्रीयन बाखले परिवार ने करवाया था। बाखले परिवार के वंशज आज भी रामनवमी पर मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आते हैं। इन दोनों मंदिरों में रामनवमी पर विशेष पूजा की गई जिसमें जैसीनगर के लोग शामिल हुए इसके बाद प्रसादी का वितरण किया गया।