MP का एक ऐसा भी गांव जहाँ होती है मेघनाथ की पूजा बला दूर करने की भी अनोखी रस्म ! || STVN INDIA ||
देश में भले ही दशहरा पर रावण और मेघनाथ के पुतले दहन किए जाते हैं लेकिन साल में एक दिन ऐसा भी आता है जब मेघनाथ की पूजा की जाती है बैतूल जिले के रोढ़ा गांव में लगने वाले मेघनाथ मेरे में पूजा अर्चना करने लोगों की भीड़ उमड़ती है, इसके पीछे कहा जाता है कि बैतूल सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मेघनाथ का राज हुआ करता था इसलिए क्षेत्र में पूजन किया जाता है
आदिवासी बाहुल्य वाले जिले के अलग-अलग गांव में लगने वाले मेले में बाहरी बाधाओं और अला बला को दूर करने के लिए ग्रामीणों के द्वारा जेरी तोड़ने की परंपरा निभाते हुए 55 फीट ऊंचे खंभे पर चढ़ा जाता है, इस खम्भे को चिकना करने के लिए ग्रीस और आयल लगाया जाता है । बैतूल के रोढ़ा गांव में भी करीब 100 सालों से यह परंपरा चली आ रही है जिसमें जेरी तोड़ने की परंपरा है यह गिरी सागौन की लकड़ी होती है जिसकी लंबाई करीब 55 फिट होती है पुराने समय में सवारों पर नारियल जेरी में बांधा जाता था अब ₹11 और नारियल बांधा जाता है जो व्यक्ति को जेरी को तोड़ता है नीचे उतरने के बाद उसे ग्राम प्रधान द्वारा प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है इस मेले की खास बात यह है, अगर जेरी नहीं टूटती है तो मेला तब तक लगेगा जब तक जेरी नहीं टूटेगी।