सागर के सबसे ऊंचे गणराज पर्वत पर नीलकंठेश्वर महादेव, खासियत यहां बना तालाब
गौंडवाना रियासत के समय मंदिर की हुई थी स्थापना, खासियत यहां बना तालाब 522 सालों में नहीं सूखा
सागर शहर से 40 किमी दूर ग्राम गढ़ नाहरमऊ में नीलकंठेश्वर गणराज पहाड़ है। जिले की सबसे ऊंची चोटी समुद्र तल से 683 मीटर ऊंचाई पर भगवान नीलकंठेश्वर महादेव विराजमान हैं। नीलकंठेश्वर महादेव की स्थापना गौंडवाना रियासत के समय की गई थी। इस प्राचीन मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन दर्शन और अभिषेक के लिए शिव भक्तों की भीड़ जमा होती है। भक्त पहाड़ की चढ़ाई चढ़कर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। मंदिर परिसर में गौंडवाना रियासत के राजा नाहर सिंह द्वारा 1500 ईसवीं में एक तालाब बनवाया गया था। तालाब में सभी तीर्थों का जल लाकर स्थापित किया था। तभी से तालाब में जल बना हुआ है। पिछले करीब 522 सालों में पहाड़ पर बना 60 फीट लंबा, 40 फीट चौड़ा और 7 फीट गहरा यह तालाब कभी सूखा नहीं है। पंडित अमित तिवारी बताते हैं कि गणराज पहाड़ पर भगवान नीलकंठेश्वर का प्राचीन मंदिर है। साथ ही मां वैष्णो देवी का मंदिर भी स्थित है। माना जाता है कि गढ़ पर बने तालाब के जल में जो भी व्यक्ति 3 हफ्तों तक लगातार स्नान करता है, तो चर्म रोग ठीक हो जाता है। पहाड़ पर घने जंगल में रहते थे हिंसक जानवर 1500 ईसवीं में यहां बहुत ही घना जंगल हुआ करता था। जहां सैकड़ों हिंसक जानवरों का डेरा था। जिनमें नाहर अर्थात शेरों की संख्या ज्यादा थी। वे यहां रह रही आबादी को भारी नुकसान पहुंचाते थे। जिसके चलते ग्रामीणों ने इस पर्वत पर नहर्रा बब्बा की स्थापना भी की थी। कहा जाता है कि राजा नाहर सिंह के राज के संत विदेह राज की समाधि भी इसी शिवालय परिसर में स्थित है।