सागर-सौ साल पुरानी प्रसिद्ध देवलचोरी की रामलीला देख दिल खुश हो जाएगा
सागर जिले के जैसीनगर के देवलचोरी गांव में पिछले 117 साल से लगातार रामलीला का मंचन होता रहा है। देवल चोरी गांव की रामलीला को बुंदेलखंड की सबसे प्राचीन रामलीला भी कहा जाता है, इस रामलीला का आयोजन गांव के ही तिवारी परिवार द्वारा किया जाता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है रामायण के सभी पात्रों के किरदारों का अभिनय गांव के ही लोगों द्वारा किया जाता है, रामलीला का आयोजन प्रतिवर्ष बसंत पंचमी से शुरू होता है जो 1 हफ्ते तक चलता है, शुक्रवार को रामलीला में सीता स्वयंवर धनुष यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमे सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया और जो भगवान शिव का धनुष तोड़ेगा उसी के साथ सीता का विवाह होगा इसके लिए दूर-दूर से राजा पहुंचे लेकिन कोई धनुष नहीं तोड़ सके, आखिर में अयोध्या राजकुमार श्रीराम ने जैसे ही धनुष उठाया तो पूरा देवलचोरी गांव जय श्रीराम के उद्घोष से गुंजायमन हो गया,आखिर में श्रीराम ने धनुष तोड़ा और सीता जी से विवाह किया।
आपको बता दें कि इस साल रामलीला होने से पहले काफी व्यवधान आए रामलीला का आयोजन कराने वाले तिवारी परिवार में इस साल एक के बाद एक तीन लोगों की असमय मृत्यु हो गई और रामलीला सालों से संचालित करवा रहे, डॉ महेश तिवारी,मनोज तिवारी व प्रसन्न तिवारी की असमय मृत्यु हो गई ऐसे में तिवारी परिवार शोकाकुल था तो ग्रामीण भी दुविधा में थे संकट और दुख की इस घड़ी में ग्रामीण आगे आए और उन्होंने परिजनों से संपर्क किया आखिर में तिवारी परिवार भी आगे आया और उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिलकर इस बार भी बेहद सादगी से 170 साल से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया।