सागर में आकार ले रहा दुनिया का सबसे बड़ा चतुर्मुखी जिनालय, 324 मूर्तियां विराजित होंगी
सागर में अद्भुत चतुर्मुखी जिनालय आकार ले रहा है, दावा है कि यहां दुनिया का सबसे बड़ा चतुर्मुखी जैन मंदिर बनाया जा रहा है। तीन मंजिला निर्माण होने वाले मंदिर में गुजरात के भुज का पीला पत्थर और राजस्थान के बयाना का लाल पत्थर इस्तेमाल किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में साढ़े 10 लाख घन फीट पत्थर लगेगा। पत्थरों पर नक्काशी भी की जा रही है। इस अद्भुत जिनालय का निर्माण खुरई रोड स्थित भाग्योदय तीर्थ के परिसर में किया जा रहा है।
इस मंदिर में 3 खंड होंगे। प्रत्येक खंड में 108 मूर्तियों की स्थापना की जाएगी। मूर्तियों की ऊंचाई 27, 36, 45, 54 और 63 इंच तक रहेगी। इसके अलावा 45 फीट का गर्भ गृह बनाया जाएगा। वही मंदिर की ऊंचाई 216 फीट रहेगी। मंदिर के चारों द्वार एक समान बनाए जाएंगे। मंदिर के चारों तरफ 94 फीट चौड़ी 19 सीढ़ियां बनेंगी। मंदिर की नींव को करीब 500 साल पुरानी चूना पद्धति का उपयोग कर बनाया गया है। निर्माण कार्य साल 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। मंदिर का शिलान्यास 19 फरवरी 2017 में हुआ था, तभी से काम शुरू हो गया था। गुजरात और राजस्थान के करीब 250 कारीगर काम कर रहे हैं।
सर्वतोभद्र जिनालय के ट्रस्टी मुकेश जैन ढाना ने बताया कि बड़े मंदिर का आकलन हाइट, एरिया और पत्थर का उपयोग देखकर किया जाता है। सागर के भाग्योदय तीर्थ में बन रहे चतुर्मुखी जिनालय के निर्माण में साढ़े 10 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग किया जा रहा है। यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा चतुर्मुखी और सबसे ज्यादा पत्थर उपयोग होने वाला जैन मंदिर होगा।
मंदिर के चारों तरफ की बाउंड्री पर 240 पत्थर लगाए जाएंगे। इन पत्थरों पर जैन धर्म का इतिहास उकेरा जाएगा। साथ ही जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों का परिचय और आचार्य श्री के संबंध में जानकारी दर्शाई जाएगी।