सागर/रहली सूर्य मंदिर की प्रतिमाओं के साथ स्थापित है यहां मां सरस्वती की प्रतिमा
सागर जिले के रहली सुनार नदी के तट स्थित सूर्य मंदिर में अन्य प्रतिमाओं के साथ मां सरस्वती की ग्यारहवीं सदी की प्रतिमा भी स्थापित है जो कि सरस्वती उपासकों की आस्था का केंद्र है। सरस्वती जयंती बसंत पंचमी सहित अन्य त्योहारों पर श्रद्धालु मां सरस्वती की इस प्राचीन प्रतिमा का पूजन करते है। मौजूदा आकृति का सूर्य मंदिर वास्तव में प्राचीन प्रतिमाओं का संग्रहालय है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की विशाल प्रतिमा के अलावा चारों दीवारों पर बाहर की ओर शिव, पार्वती, गणेश, मां सरस्वती सहित अन्य देवी -देवताओं की प्रतिमाएं हैं। सूर्य मंदिर की उत्तरी दीवार पर चतुर्भुज सरस्वती की प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा के सामने के दोनों हाथों में वीणा, ऊपरी दाहिने हाथ में अस्पष्ट आयुध तथा बायें हाथ में पुस्तक है। प्रचलित आभूषणों में मंडित देवी के चरणों के समीप दाहिनी ओर हंस और बायीं ओर अस्पष्ट पशु की आकृति है। यह प्रतिमा ग्यारहवीं सदी की है।सरस्वती की उपासना ब्राह्मण, जैन और बौद्ध सम्प्रदाय में प्रचलित है। ऋग्वेद में सरस्वती का उल्लेख किया गया है। विष्णु धर्मोत्तर पुराण में सरस्वती का कमंडल और वीणा लिए हुए वर्णन किया गया है। पुराणों, आगमों और मारसार नामक ग्रंथ में सरस्वती प्रतिमा निर्माण के निर्देश दिये गये हैं।