नए साल पर जन्म वाली बेटियों को सोने और चांदी के लॉकेट किये भेंट
जिला अस्पताल में नए साल पर जन्म लेने वाली बेटियों का सोने और चांदी के लॉकेट भेंट कर उनका स्वागत किया गया और उनकी माताओं का सम्मान भी किया। नए साल पर जन्मे तीन बेटियों को सोने के लॉकेट और इससे पहले जन्मी 20 बेटियों को चांदी के लॉकेट भेंट किए गए। ये नज़ारा बैतूल की जिला अस्पताल का है। हाथों में गुलदस्ते और सोने के चांदी के लाकेट लेकर अस्पताल पहुंचे समाजसेवियों ने नए साल पर जन्मी बेटियों का कुछ अलग अंदाज में स्वागत किया। समाजसेवियों सरोज विश्वनाथ उइके, सीमा सुभाष, प्रमिला मुकेश को बेटी के जन्म पर सम्मान किया। साल 2011 की जनगणना में 1,000 लड़कों पर 943 लड़कियां हैं। बैतूल के समाजसेवियों ने लड़कों और लड़कियों में लिंगानुपात के अंतर को कम करने के लिए और बेटी के जन्म पर परिवार को घुटन महसूस ना हो इसके लिए अनूठी पहल शुरू की है। 2015 जनवरी से शुरू हुई परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इस साल भी बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना के तहत बेटियों को उपहार वितरित किये गए। सुनिए समाजसेवियों का इसको लकीर क्या कहना है। समाजसेवियों की इस पहल से महिलाएं भी खुश है। बेटी को जन्म देने वाली रोशनी का कहना है कि बहुत खुशी हो रही है पहली भी बेटी थी और दूसरी भी बेटी हुई है। नए साल पर अच्छा तोहफा मिला है। आयोजक धीरज कहते हैं की उनकी माता की स्मृति में कार्यक्रम किया गया आजकल जो भ्रूण हत्या हो रही है उसे रोकने की जरूरत है इस तरह बेटियों के जन्म पर प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रम किया गया।