सागर के कक्का जी पं.रविशंकर शुक्ल कैसे बने मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री देखिए | SAGAR TV NEWS |
मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस एक नवंबर को मनाया जाएगा, 67 साल पूर्व जन्मे इस प्रदेश के यादगार मौके पर अगर यहां के इतिहास पुरुषों को याद नहीं किया जाएगा तो यह बड़ी नाइंसाफी होगी, मध्यप्रदेश के निर्माण और विकास में जिन महान लोगों का नाम लिया जाता है, उनमें से एक हैं पं. रविशंकर शुक्ला यानी सागर के कक्का जी, पं. रवि शंकर शुक्ला के मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बनने की कहानी भी कम रुचिकर नहीं है। देखिए ये रिपोर्ट
डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. डॉ. सुरेश आचार्य बताते हैं कि पं. रविशंकर शुक्ल ना सिर्फ मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे, इसके पहले वे सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार के भी मंत्री थे. उनका जन्म 2 अगस्त 1877 को सागर के खुशीपुरा में हुआ था. खुशीपुरा का नाम अब रविशंकर नगर उनके नाम पर कर दिया गया है. पं. रविशंकर शुक्ल अपने पुत्रों के कारण भी बड़े चर्चित हुए. उनके सभी बेटे विद्याचरण, श्यामाचरण, अंबिका चरण, शारदा चरण और गिरजा चरण उनको कक्का जी कहकर बुलाते थे. उसका परिणाम ये हुआ कि वह पूरे इलाके के कक्का जी कहलाने लगे. जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम जारी था, तो महात्मा गांधी ने उनको बुलाकर छत्तीसगढ़ में काम करने का आदेश दिया और कहा कि मैं स्वयं छत्तीसगढ़ तुम्हारे पास आऊंगा. उन्होंने छत्तीसगढ़ में वकालत शुरू की और कांग्रेस के बड़े कार्यकर्ता के रूप में उभरे. मध्यप्रदेश का गठन हुआ, तो इस इलाके को प्रतिनिधित्व देने के लिहाज से पंडित रविशंकर शुक्ल को प्रथम मुख्यमंत्री बनाया गया।
आजादी के पहले 1946 में बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्र में डॉ. हरिसिंह गौर के प्रयास से सागर विश्वविद्यालय की स्थापना हो गई थी. विश्वविद्यालय की स्थापना में पं. रविशंकर शुक्ल का अहम योगदान था. सागर विश्वविद्यालय में डॉ. हरिसिंह गौर के साथ पं. रविशंकर शुक्ल की भी समाधि है. पं. रविशंकर शुक्ल और डॉ. हरिसिंह गौर बड़े वकील तो थे ही, साथ में बड़े घनिष्ठ मित्र थे। जब सागर विश्वविद्यालय की स्थापना होने थी तो कई लोग चाह रहे थे कि ये विश्वविद्यालय सागर की जगह कहीं और स्थापित किया जाए. पं. रविशंकर शुक्ल सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार के मुख्यमंत्री होने के नाते डॉ. हरिसिंह गौर के बड़े मददगार साबित हुए. उन्होंने सागर से हमेशा बड़ा प्यार किया और सागर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने सागर विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार की राजधानी तब नागपुर हुआ करती थी. पं. रविशंकर शुक्ल के प्रयासों से नागपुर विधानसभा में सागर विश्वविद्यालय अधिनियम 1946 पारित हुआ
यहां एक नाम और याद दिलाना चाहूंगा पं. डीपी शुक्ला, जो डॉ. हरिसिंह गौर के निज सचिव थे. वे डॉ. हरिसिंह गौर की रजिस्टर्ड वसीयत लेकर सागर से देवरी तक पैदल गए और कैसे भी नागपुर पहुंचे. उनके नागपुर पहुंचते ही पं. रविशंकर शुक्ल के आदेश पर उन्हें पुलिस के सुरक्षा घेरे में लिया गया और पं. रविशंकर शुक्ल को डीपी शुक्ला ने वसीयत सौंपी. तब जाकर सागर विश्वविद्यालय का अधिनियम लागू हुआ और विश्वविद्यालय स्थापित हुआ