Former MLA Parul Sahu created history by reaching the highest peak of Europe and gave a special message to the world.
सागर। जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरुकता बढाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अभियान " एक पेड़ माँ के नाम " का पोस्टर संदेश लेकर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर मध्यप्रदेश के सागर जिले की पूर्व विधायक और पर्वतारोही पारुल साहू पहुंची और पूरी दुनिया को क्लाइमेट चेंज के दुष्परिणामों से बचने का संदेश दिया। प्रधानमंत्री के संदेश का पोस्टर देकर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने दिल्ली से पर्वतारोही के दल को रवाना किया था। " एल्ब्रुस " चोटी यूरोप की सबसे ऊंची 18 510 फीट पर है। इस साहसिक अभियान में 8 सदस्यीय दल शामिल रहा।
08 अगस्त को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान का पोस्टर पर्वता रोही दल की पारुल साहू को सौंपा। इसे लेकर निकली पारुल और पूरी टीम ने 17 अगस्त को " एल्ब्रुस " चोटी पर संदेश पहुंचाया और देश का नाम रोशन किया।
पारुल साहू ने बताया कि 14 अगस्त को 12467 फीट ऊंचाई पर स्थित गरबाशी बेस कैंप से निकलने का प्लान था। लेकिन घुटने में अत्याधिक ठंड की वजह से अंदरूनी सूजन आने के कारण मुझे रुकना पड़ा। लेकिन डॉक्टर से सलाह ली दवाइयां ली कुछ सुधार होने पर आगे बढ़ी, पर्वता रोही दल के टीम लीडर पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल रोमिल के साथ 18510 फीट ऊंची " एल्ब्रुस " चोटी पर 16 अगस्त की रात से चढ़ना शुरू किया था।
पर्वता रोही पारुल साहू ने बताया कि पिछले दो दशकों से देश दुनिया की कई चोटियों पर पहुंची है । लेकिन यूरोप की इस चोटी पर पहुंचना एक अलग अनुभव था। यूरोप की सबसे सर्द और बर्फीली चोटी पर तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस रहता है। हवा की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रतिघंटा थी । इसमें हम लोगो धीरे धीरे चढ़ना शुरू किया। चारो तरफ बर्फ की चादर ही दिखती रही। टीम के सदस्यों की सुरक्षा भी अहम थी। लेकिन अनुभवों के सहारे इस मुकाम को 17 अगस्त को पूरा कर लिया और एक पेड़ मां के नाम का पोस्टर लहराते हुए पूरे दुनिया में संदेश दिया।
पूर्व विधायक पारुल साहू ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में जो पहल शुरू की है। इसको गंभीरता से हरेक व्यक्ति को समझना बहुत जरूरी है। यदि क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों को आज से रोकना शुरू नही किया तो अगले 40 – 50 सालो में मानव का अस्तित्व ही संकट में आ जाएगा। इसके लिए सरकारें अपना कार्य कर ही रही है। हमे व्यक्तिगत स्तर पर जिम्मेदारी निभाते हुए एक पेड़ मां के नाम पर जरूर लगाना चाहिए । यह अभियान पूरी दुनिया का हर व्यक्ति अपनाए तो हर वर्ष 9 अरब वृक्ष लगेंगे । इससे हमारी प्रकृति को जलवायु परिवर्तन से हो रहे दुष्प्रभावों का सामना करने में मदद मिलेगी।