सागर में पानी की समस्या,गांव की महिलाएं,पुरुष पानी की तलाश में जुटे
सागर जिले के खुरई के भरछा ग्राम पंचायत के लोग इन दिनों पानी के लिए परेशान हैं। गांव के हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया है। पंचायत के एक बोर से पूरे गांव में पानी की सप्लाई हो रही है। अलग-अलग बस्ती के लोगों को चार दिन में एक बार पानी मिल पा रहा है। इसलिए गांव के लोग एक से दो किलोमीटर दूर स्थित खेतों से पानी का इंतजाम कर रहे हैं। जिससे ग्रामीण समय से अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं और आर्थिक नुकसान के साथ शारीरिक कष्ट झेल रहे हैं। इस समय भीषण गर्मी का दौर जारी है और 46 डिग्री तापमान में भी लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। झुलसा देने वाली धूप में भी गांव की महिलाएं, पुरुष पानी की तलाश में भटकते हुए नजर आते हैं। ऐसे ही उत्तरप्रदेश की सीमा से सटे भरछा गांव में इन दिनों पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। गांव की महिला शीला बाई चढ़ार ने बताया कि पूरे गांव में एक बोर से पानी की सप्लाई हो रही है। अलग-अलग बस्ती में अलग-अलग दिनों में पानी आता है।
ऐसे में तीन से चार दिन में एक बार नंबर आता है। अन्य दिनों में पानी के लिए खेतों में लगे बोर और कुओं से पानी लाना पड़ता है। गांव के छोटू राजा राजपूत ने बताया कि पानी के लिए इंसान तो परेशान है साथ ही साथ जानवरों को भी पानी नसीब नहीं हो रहा है। गांव की सुमतरानी ने बताया कि गांव में नल जल योजना की पाइप लाइन तो डाली गई है लेकिन उसमे पानी नहीं आता है। गांव में पानी की टंकी का निर्माण किया जा रहा है। पानी की टंकी बन जाने के बाद शायद नल जल योजना की पाइप लाइन में पानी आ सकता है। गांव के साहब सिंह राजपूत, मोहन कुशवाहा ने बताया कि एक तो तीन-चार दिनों में एक बार पानी मिल रहा तो वहीं बार-बार बिजली जाने से पानी भरने में भी परेशानी होती है। भरछा गांव से कुछ दूरी पर ही हरिजन बस्ती है।
जहां पानी के लिए केवल एक कुआं बना हुआ है। कुएं का पानी काफी खराब है। बस्ती के लोग यही गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। बस्ती के रोहित अहिरवार, अमोल अहिरवार ने बताया कि हरिजन बस्ती में करीब 100 परिवार के लोग इसी कुएं के पानी का उपयोग पीने और भोजन पकाने के लिए करते हैं। गांव की गंगाबाई अहिरवार ने बताया कि सुबह-शाम जब सभी लोग कुएं से पानी भरते हैं तो कुएं में कीचड़ आने लगता है। उसी पानी को लाकर बस्ती के लोग घर में रख देते हैं। कीचड़ जैसे ही नीचे बैठ जाता है, तब पानी को कपड़े से छानकर भोजन और पीने के उपयोग में लेते हैं।